उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को जमानत दी

केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में जमानत दे दी। उसने कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण वंचना के समान है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपए के जमानत बांड और इतनी ही राशि की दो जमानतें जमा करने पर राहत प्रदान की।

केजरीवाल को ईडी ने आबकारी नीति मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था।

केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी। वे 2 जून को आत्मसमर्पण करने के बाद से जेल में हैं।

शीर्ष न्यायालय ने केजरीवाल को मामले के गुण-दोष पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि ईडी मामले में लगाई गई शर्तें यहां भी लागू होंगी।

शीर्ष अदालत ने ईडी मामले में उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते हैं और किसी भी आधिकारिक फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते, जब तक कि उपराज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करना बिल्कुल आवश्यक न हो।

न्यायालय ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं है तथा केजरीवाल द्वारा छेड़छाड़ की आशंका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति भुयान, जिन्होंने एक अलग निर्णय लिखा था, ने जमानत देने पर न्यायमूर्ति कांत से सहमति व्यक्त की।

हालांकि, न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि एजेंसी का उद्देश्य ईडी मामले में उन्हें जमानत मिलने से रोकना है।

न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि सीबीआई को ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्यों थी, जबकि उसने 22 महीने तक ऐसा नहीं किया?'

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