नेता चुनाव में मस्त, दालों के भावों से लोग पस्त

दालों के भाव आसमान को छू रहे हैं

दालें महँगी होने के साथ मिलावटी भी देखी जा रही है

बाल मुकुंद ओझा

महंगाई के पंख लगने के बाद दालें लोगों की पहुंच से दूर हो गई हैं| हालत यह है कि दालों को खाना अब लोगों के बस की बात नहीं रही| हर दाल के दाम आसमान छू रहे हैं| दालें रसोई से छिटक चुकी है और गरीब की थाली से भी दूर हो गयी है| दाल न सिर्फ हमारे शरीर में जरूरी विटामिन और मिनरल की आपूर्ति करती है बल्कि हमें तंदरुस्त बनाए रखने में भी मदद कर सकती हैं| खुदरा विक्रेता रोजमर्रा की चीजें काफी महंगे भावों में बेच रहे है तो दालें भी हमारे से दूर होती जा रही है| लगता है सरकार का इन पर कोई अंकुश नहीं है| 

दालें महँगी होने के साथ मिलावटी भी देखी जा रही है| हमारे जीवन में मसालों और दालों का बहुत महत्त्व है| अमूमन प्रत्येक घर में रोजाना दाल बनती है| जिसे बच्चे से बुजुर्ग तक बड़े चाव से सेवन करते है| लंच हो या फिर रात का डिनर| दाल के बिना खाना कुछ अधूरा सा लगता है और दाल में भी मूंग, उड़द, अरहर और मसूर की दाल को सबसे पौष्टिक माना जाता है| दाल कभी आम लोगों का सहारा थी| 

गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार दाल-रोटी खाकर अपना गुजारा कर लेता था, मगर अब ऐसा नहीं है| महंगाई की मार दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं| अरहर, मूंग, मसूर और उड़द  की दालों के दाम एक सौ से डेढ़ सौ रूपये किलो पहुँच गए है| अरहर दाल की कीमत एक माह में २५ प्रतिशत तक बढ़ गयी| 

दैनिक जीवन में हम तरह की दालों का सेवन करते हैं| दाल प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है| दाल को स्वास्थ्यवर्धक माना गया है| चिकित्सकों के अनुसार छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और विभिन्न बीमारियों के दौरान मरीजों को दाल का पानी पीने की सलाह दी जाती है|

हमारे नेता और राजनीतिक पार्टियां इस समय हरियाणा सहित कुछ राज्यों में आगामी दिनों में होने जारहे चुनावी जंग में व्यस्त है वहीं महंगाई की मार आम लोगों पर भारी पड़ रही है| 

रसोई में इस्तेमाल होने वाले सभी खाद्य पदार्थों के रेट में दिन-ब-दिन बढ़ोतरी हो रही है| कोरोना के बाद दालों और खाने के तेल की कीमतों में जो उबाल आया है उस पर आजतक काबू नहीं पाया जा सका है| पेट्रोल डीज़ल के भाव कम होने का नाम नहीं ले रहे है| दालों ने रसोई का बजट बिगाड़कर रख दिया है| 

दालों के भाव आसमान को छू रहे है| सभी प्रकार की दालें १०० रूपये प्रति किलो से पार हो रही है| वर्तमान में अरहर दाल १७०-१८० रूपये, चना दाल ९०-१००, मूंग दाल ११०-१२०, मसूर दाल ११०-१३०, उड़द दाल १२०-१३०, प्रतिकिलो बेची जा रहा है| महंगाई की हालत ऐसी हो गई है कि अब बिना छौंके वाली दाल खाने की आदत डालनी पड़ेगी| महंगी दालों और मसालों ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है| 

दाल कभी आम लोगों का सहारा थी| गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार दाल-रोटी खाकर अपना गुजारा कर लेता था, मगर अब ऐसा नहीं है| महंगाई की मार दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है| सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं| अरहर, मूंग, मसूर और उड़द की दालों के दाम एक सौ से १८० रूपये किलो तक पहुँच गए है| अरहर दाल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है| 

अरहर की दाल का सभी मंडियों में एक ही भाव होता है, क्योंकि यह दाल लोगों द्वारा अधिक पसंद की जाती है| मूंग और चने के दामों में तेजी देखी गई है| मसूर की कीमतें भी आवक की कमी के कारण बढ़ीं हैं| एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में तुवर की फसल को बरसात से नुकसान हुआ है| 

छावनी अनाज मंडी में नए मूंग की आवक शुरू हुई, लेकिन नमी अधिक है|  दूसरी तरफ उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को उम्मीद है कि जनवरी २०२५ की शुरुआत तक दालों की कीमतों में काफी गिरावट आ सकती है जिससे फूड महंगाई कम होने से उपभोक्ताओं पर बोझ कम होगा| सब ज्यादा महँगी अरहर दाल की कीमत  घटकर १२० प्रति किलोग्राम हो जाएगी| उड़द और मूंग दाल की कीमतों में भी गिरावट आने की उम्मीद है|

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