सेहत और भरोसे के साथ खिलवाड़

ऐसे अपराधी अपने मन में दूसरों के लिए घृणा लिए फिर रहे हैं

उनका भंडाफोड़ होना चाहिए

खानपान की चीजों में गंदगी और मानव अपशिष्ट मिलाकर बेचने की घटनाओं के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और सभी खाद्य केंद्रों पर संचालकों / प्रबंधकों के नाम-पते का अनिवार्य रूप से उल्लेख करने संबंधी निर्देश स्वागत-योग्य हैं। हाल में सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें कुछ लोग खानपान की चीजों में जानबूझकर गंदगी मिलाकर बेचते पाए गए थे। 

जिन ग्राहकों ने पूर्व में उनसे चीजें लेकर खाईं, जब उन्हें पता चला होगा कि विक्रेता ने क्या-क्या मिलाकर हमें खिला दिया, तो सब पर क्या बीती होगी? यह ग्राहकों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। साथ ही नैतिक रूप से पतन की पराकाष्ठा है। ऐसे लोगों को कठोर दंड मिलना ही चाहिए, ताकि जिनके मन में भी भविष्य में ऐसी खुराफातें करने की तरंगें उठ रही हैं, उन्हें सबक मिल जाए। सोशल मीडिया पर विभिन्न राज्यों के ऐसे कई वीडियो वर्षों से वायरल हो रहे हैं, लेकिन सरकारों ने कोई ऐसा कदम नहीं उठाया, जिससे इस तरह का अपराध करने वाले लोग हतोत्साहित हों। 

एक विवाह कार्यक्रम में उस समय हंगामा मच गया, जब रोटियां बना रहा लड़का उन पर घी के साथ थूक लगाता पकड़ा गया था। दरअसल किसी मेहमान की उस पर नज़र पड़ गई थी। उसने तुरंत उसका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया था। बाद में उसे सबूत के तौर पर पेश करते हुए मामला उठाया तो लोगों को असलियत पता चली। अगर उसने इस ओर ध्यान नहीं दिया होता तो सभी मेहमान थूक लगीं रोटियां खाते और खुशी-खुशी अपने घर चले जाते। 

एक जूस विक्रेता ने तो हद ही कर दी। वह जूस में मानव मूत्र मिलाकर लोगों को पिला रहा था। जब उसकी करतूत वीडियो में कैद हुई तो पर्दाफाश हुआ। उसने न जाने कितने ही लोगों के साथ ऐसा किया होगा!

ये तो कुछ ही घटनाएं हैं, जो सामने आ गईं। हो सकता है कि ऐसी कई घटनाएं सामने नहीं आई हों। लोगों की सेहत और भरोसे के साथ ऐसा खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं होनी चाहिए। ढाबों, रेस्तरां और खानपान संबंधी चीजों का व्यवसाय करने वाले प्रतिष्ठानों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। वह प्रतिष्ठान कौन चला रहा है, कौन भोजन पका रहा है, कौन परोस रहा है, किस-किस सामग्री का उपयोग हुआ है ... इन सब बातों की जानकारी ग्राहक को मिलनी चाहिए। 

जहां खानपान की चीजें बन रही हैं, वहां सफाई की व्यवस्था कैसी है, बर्तन ठीक तरह से धुले हुए हैं या नहीं, कर्मचारी शारीरिक स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं ... जैसे कई सवालों के जवाब मिलने चाहिएं। इसके लिए प्रतिष्ठानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने अनिवार्य हों और जो ग्राहक उन्हें देखना चाहे, उसे देखने का पूरा अधिकार हो। सरकार को ऐसी व्यवस्था को लेकर विचार करना चाहिए, जिसके तहत मेन्यू पर क्यूआर कोड लगा दिया जाए। जब कोई ग्राहक उसे स्कैन करे तो प्रतिष्ठान के बारे में जरूरी जानकारी तुरंत सामने आ जाए। 

जो लोग खानपान की चीजों में जानबूझकर गंदगी मिलाते हैं, उनकी मानसिकता को समझना जरूरी है। इसे सामान्य शरारत समझने की भूल न करें, जैसा कि कुछ लोग उन्हें 'नादान' बताकर पैरवी करते मिल जाते हैं। क्या वे नहीं जानते कि खानपान की चीजों में ऐसी मिलावट से ग्राहकों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, उनकी जान खतरे में पड़ सकती है? 

ऐसे अपराधी अपने मन में दूसरों के लिए घृणा लिए फिर रहे हैं। उनका भंडाफोड़ होना चाहिए। उनके लिए कठोर दंड के प्रावधान होने चाहिएं। खानपान की सभी चीजों की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। प्रतिष्ठान के संचालक की यह जिम्मेदारी तय करनी होगी कि वह हर ग्राहक को जरूरी जानकारी उपलब्ध कराए। जो प्रतिष्ठान आनाकानी करे, उससे दूर रहना ही बेहतर है।

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