न्यूयॉर्क/दक्षिण भारत। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का समर्थन किया है और साथ ही इस शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र निकाय के विस्तार की वकालत की है।
मैक्रों ने बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, 'हमारे पास एक सुरक्षा परिषद है जो अवरुद्ध है ... आइए संयुक्त राष्ट्र को और अधिक कुशल बनाएं। हमें इसे और अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाना होगा।'
उन्होंने कहा, 'इसलिए, फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है। जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए। साथ ही दो ऐसे देश भी होने चाहिएं, जिन्हें अफ्रीका इसका प्रतिनिधित्व करने के लिए तय करेगा।'
भारत सुरक्षा परिषद में लंबे समय से लंबित सुधारों को तत्काल लागू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में किए जा रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है और इस बात पर जोर देता रहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र के उच्च मंच पर स्थायी सदस्य के रूप में स्थान पाने का हकदार है।
भारत का तर्क है कि साल 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है और समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
वर्तमान में, यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं। ये देश किसी भी महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पर वीटो लगा सकते हैं।
भारत आखिरी बार 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र के उच्च मंच पर एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में बैठा था। समकालीन वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है।
अपने संबोधन में मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली में बदलाव, सामूहिक अपराधों के मामलों में वीटो के अधिकार को सीमित करने तथा शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक परिचालन निर्णयों पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, 'जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य करने के लिए दक्षता हासिल करने का समय आ गया है।'