ईरान द्वारा इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलों से किया गया हमला 'आ बैल, मुझे मार' कहावत को चरितार्थ करता प्रतीत होता है। पिछले साल 7 अक्टूबर से शुरू हुई लड़ाई को अब तक मुख्यत: हमास और हिज्बुल्लाह जैसे संगठन लड़ रहे थे, जिन्हें पर्दे के पीछे से मदद ईरान पहुंचा रहा था। अब उसने जिस स्तर पर धावा बोला है, वह एक बड़ी जंग को भड़का सकता है, जिसके नतीजे गंभीर होंगे।
इजराइल का रिकॉर्ड बताता है कि उसे 'शत्रुबोध' को लेकर कोई भ्रम नहीं है। जब कोई देश / संगठन उसकी धरती / नागरिकों पर हमला करता है तो वह जवाब जरूर देता है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह बयान ईरान के लिए गंभीर चेतावनी है कि उसने बड़ी गलती की है, जिसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
सवाल है- इस मिसाइल हमले के जवाब में इजराइल क्या कर सकता है? इन दोनों देशों के बीच भौगोलिक दूरी को देखते हुए मिसाइल / हवाई हमला ही सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। इजराइल की वायुसेना और घातक मिसाइलों ने गाजा और लेबनान में भारी तबाही मचाई है। अगर यह देश ईरान के साथ भी मोर्चा खोल देता है तो यह लड़ाई लंबी चलने की आशंका है।
ईरान के साथ सीधी भिड़ंत की सूरत में उसके परमाणु संयंत्रों, तेल रिफाइनरी, सैन्य अड्डों और राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों को निशाना बनाया जा सकता है। इजराइल हानिया और नसरुल्लाह का पहले ही खात्मा कर चुका है। अगर ईरान के साथ जंग छिड़ी तो उसकी आग सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामेनेई तक पहुंच सकती है।
ख़ामेनेई ने इजराइल पर मिसाइल हमलों के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जो तस्वीर पोस्ट की, उसके गहरे निहितार्थ हैं। जमीन के काफी अंदर मिसाइलों का भंडार और सुरंगें दिखाकर ख़ामेनेई बताना चाहते हैं कि 'अभी जो हमला हुआ, वह तो एक झलक मात्र है ... अगर जंग छिड़ी तो हमारे पास मिसाइलों की कमी नहीं है!'
हालांकि इजराइल इस तथ्य से अनजान नहीं है। पूर्व में प्रकाशित कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि ईरान ने अपनी मिसाइलों को उन्नत बनाने के लिए काफी कोशिशें कीं, लेकिन कामयाबी उस स्तर पर नहीं मिली थी। उसे चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों से मदद मिलती रहती है, जिसके बूते वह इजराइल और पश्चिमी देशों को आंखें दिखाता है।
उसने मंगलवार रात को जो मिसाइलें दागीं, उनको लेकर दावा किया कि उनमें से 90 प्रतिशत अपने लक्ष्य तक पहुंची थीं। हालांकि तस्वीरें कुछ और ही बयान करती हैं। उनमें से ज्यादातर मिसाइलें इजराइल के डिफेंस सिस्टम ने हवा में मार गिराई थीं। आईडीएफ ने यह जरूर स्वीकारा कि ईरानी हमले के परिणामस्वरूप इजराइली सैन्य ठिकानों को क्षति पहुंची है, जबकि किसी भी नागरिक, सैनिक या विमान को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
माना तो यह जा रहा है कि इस हमले के जरिए ईरान बेंजामिन नेतन्याहू के जाल में फंस गया है, जो सालभर से इसी लम्हे का इंतजार कर रहे थे। अब उन्हें ईरान पर सीधा हमला करने और उसे न्यायोचित ठहराने का आधार मिल गया है। अगर इजराइल पलटवार करेगा तो ईरान उसे रोकने में कितना सक्षम होगा?
चूंकि इजराइल को अमेरिका समेत पश्चिम के ताकतवर देशों का समर्थन प्राप्त है। वे उसे हथियारों की आपूर्ति करने से पीछे नहीं हटेंगे। इस समय ईरान के लिए एक और बड़ी चुनौती लोगों के मन में ख़ामेनेई के प्रति बढ़ता आक्रोश है। अगर वहां भविष्य में हालात बिगड़े तो सियासी भूचाल आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।