योगेश कुमार गोयल
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भारतीय वायुसेना ८ अक्तूबर को अपना ९२वां स्थापना दिवस मना रही है| प्रतिवर्ष इस विशेष अवसर पर वायुसेना अपने शौर्य और शक्ति का अभूतपूर्व प्रदर्शन करती है| इस बार अपने ९२वें स्थापना दिवस से पहले भारतीय वायुसेना ने ६ अक्तूबर को चेन्नई के मरीना बीच पर भव्य एयर शो का आयोजन किया, जिसमें राफेल, मिग-२९, त्तेजस, सुखोई-३० एमकेआई जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स सहित वायुसेना के कुल ७२ विमानों ने अपनी ताकत और कुशलता का प्रदर्शन किया और जांबाज वायुवीरों ने भी अपने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया| आसमान में वायुवीरों के प्रदर्शनों को देखकर हर कोई रोमांच से भर उठा| एयर शो का सबसे प्रमुख आकर्षण रहा ऐतिहासिक विरासत के रूप में दिखाया गया प्रथम विश्वयुद्ध में इस्तेमाल हुआ हार्वर्ड टी-६जी टैक्सन एयरक्राफ्ट, जिसे भारतीय वायुसेना ने वर्ष १९७४ तक ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया था| राफेल, मिग-२९, सुखोई-३० एमकेआई, तेजस जैसे फाइटर जेट्स, सारंग, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (प्रचंड), एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ध्रुव) जैसे हेलीकॉप्टर तथा सी-२९५, अपाचे, डकोटा, चेतक, जगुआर इत्यादि अन्य एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना की अभेद्य ताकत बन चुके हैं| भारतीय वायुसेना दिवस के अवसर पर हर साल एयर शो आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य न केवल पूरी दुनिया को भारत की वायुशक्ति से रूबरू कराना है बल्कि युवाओं को वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना भी है|
भारतीय वायुसेना में इस समय राफेल, सुखोई ३०, मिराज २०००, जगुआर, तेजस, आरपीए ५०, मिग-२७, मिग-२९ के अलावा हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, चेतक, चीता, एमआई-८, एमआई-१७, एमआई-२६, एमआई-२५ एचएएल लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर, एचएएल रुद्र इत्यादि अत्याधुनिक विमान शामिल हैं, जो किसी भी विकट स्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं| भारतीय वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना होने का गौरव हासिल है| देश की करीब २४ हजार किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना पूरी मुस्तैदी के साथ निभाती रही है और वायुसेना के बेड़े में दमदार लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों तथा अत्याधुनिक मिसाइलों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है, जिनके कारण हमारी वायुसेना अब पहले के मुकाबले कई गुना शक्तिशाली हो चुकी है| अब हम हवा में पहले के मुकाबले बहुत मजबूत हो चुके हैं तथा दुश्मन की किसी भी तरह की हरकत का अधिक तेजी और ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम हैं| भारत के मुकाबले चीन के पास भले ही दो गुना लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान हैं, भारत से दस गुना ज्यादा रॉकेट प्रोजेक्टर हैं लेकिन रक्षा विश्लेषकों के अनुसार चीनी वायुसेना भारत के मुकाबले मजबूत दिखने के बावजूद भारत का पलड़ा उस पर भारी है|
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक गिनती और तकनीकी मामले में भले ही चीन सहित कुछ देश हमसे आगे हो सकते हैं लेकिन संसाधनों के सटीक प्रयोग और बुद्धिमता के चलते दुश्मन देश सदैव भारतीय वायुसेना के समक्ष थर्राते हैं| भारत के मिराज-२००० और एसयू-३० जैसे जेट विमान ऑल-वेदर मल्टीरोल विमान हैं, जो किसी भी मौसम में और कैसी भी परिस्थितियों में उड़ान भर सकते हैं| मिराज-२०००, मिग-२९, सी-१७ ग्लोबमास्टर, सी-१३०जे सुपर हरक्यूलिस के अलावा सुखोई-३० जैसे लड़ाकू विमान करीब पौने चार घंटे तक हवा में रहने और तीन हजार किलोमीटर दूर तक मार करने में सक्षम हैं| एक बार में ४२०० से ९००० किलोमीटर की दूरी तक ४०-७० टन के पेलोड ले जाने में सक्षम सी-१७ ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं| चिनूक और अपाचे जैसे अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर भी वायुसेना की मजबूत ताकत बने हैं| इनके अलावा भारत के पास दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम ९५२ मीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार वाली ब्रह्मोस मिसाइलों सहित कई अन्य घातक मिसाइलें भी हैं, जिनकी मारक क्षमता से दुश्मन देश थर्राते हैं|
भारतीय वायुसेना की जाबांजी के अनेक किस्से दुनियाभर में विख्यात हैं| हमारी वायुसेना चीन के साथ एक तथा पाकिस्तान के साथ चार युद्धों में अपना पराक्रम दिखा चुकी है| भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल में ८ अक्तूबर १९३२ को हुई थी और तब इसका नाम था रॉयल इंडियन एयरफोर्स’| १९४५ के द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| उस समय वायुसेना पर आर्मी का ही नियंत्रण होता था| इसे एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिलाया था इंडियन एयरफोर्स के पहले कमांडर-इन-चीफ सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट ने, जो हमारी वायुसेना के पहले चीफ एयर मार्शल बने थे| ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ की स्थापना के समय इसमें केवल चार एयरक्राफ्ट थे और इन्हें संभालने के लिए कुल ६ अधिकारी और १९ जवान थे| आज वायुसेना में डेढ़ लाख से भी अधिक जवान और हजारों एयरक्राफ्ट्स हैं| स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वायुसेना को अलग पहचान मिली और १९५० में ‘रॉयल इंडियन एयरफोर्स’ का नाम बदलकर इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया| एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी इंडियन एयरफोर्स के पहले भारतीय प्रमुख थे| उनसे पहले तीन ब्रिटिश ही वायुसेना प्रमुख रहे| इंडियन एयरफोर्स का पहला विमान ब्रिटिश कम्पनी ‘वेस्टलैंड’ द्वारा निर्मित ‘वापिती-२ए’ था| बहरहाल, भारतीय वायुसेना ने समय के साथ बहुत तेजी से बदलाव किए हैं और काफी हद तक कमियों को दूर भी किया गया है|