चेन्नई में मरीना बीच पर वायुसेना का 'एयर शो' रोमांचक रहा, लेकिन कई लोगों की तबीयत बिगड़ने और पांच लोगों के जान गंवाने की घटना अत्यंत पीड़ादायक है। यह कैसे हुआ, क्या आयोजन स्थल पर पर्याप्त इंतजाम नहीं थे, अगर थे तो कमी कहां रह गई, लोगों ने किन सावधानियों का पालन नहीं किया, ऐसी घटनाओं को भविष्य में कैसे टाला जा सकता है ... जैसे कई बिंदुओं को शामिल करते हुए इसकी जांच होनी चाहिए और रिपोर्ट के निष्कर्षों को सार्वजनिक करना चाहिए।
भारत में हर साल विभिन्न आयोजनों में काफी तादाद में लोग इकट्ठे होते हैं। बेशक हर जगह अप्रिय घटनाएं नहीं होतीं, लेकिन कई जगह होती हैं। यह हकीकत है, जिससे इन्कार नहीं किया जा सकता। कहीं गर्मी, कहीं भगदड़, कहीं करंट तो कहीं दीवार / छत आदि गिरने से लोग घायल होते हैं और जान भी गंवाते हैं। अगर किसी भी आयोजन से पहले कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो अप्रिय घटनाओं को काफी हद तक टाला जा सकता है।
आयोजकों को यह बात याद रखनी चाहिए कि जितने लोगों के आने की संभावना है, इंतजाम उससे ज्यादा करें। आयोजक चाहते हैं कि कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं। ऐसी इच्छा रखना गलत नहीं है। वे इस बिंदु को नज़रअंदाज़ न करें कि अब सोशल मीडिया का ज़माना है। आप जितने लोगों को न्योता दे रहे हैं, सोशल मीडिया के जरिए उसका संदेश लोगों तक पहुंचते-पहुंचते वायरल भी हो सकता है।
क्या यह उचित समय नहीं है कि जरूरत से ज्यादा भीड़, अव्यवस्था और अप्रिय घटनाओं को टालने के लिए तकनीक के जरिए ऐसे इंतजाम किए जाएं, ताकि उतनी ही तादाद में लोगों को प्रवेश दिया जाए, जितने लोगों के लिए जगह है? इसमें परिस्थितियों के आधार पर तादाद को थोड़ा और बढ़ाए जाने की गुंजाइश भी रहे।
कुछ साल पहले चीन में एक युवती ने अपनी शादी का निमंत्रण पत्र दोस्तों के साथ साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। उसके परिवार ने यही सोचा था कि शादी में ज्यादा से ज्यादा डेढ़ सौ-दो सौ मेहमान आएंगे। इतनी तादाद को ध्यान में रखते हुए सभी इंतजाम किए गए। इस बीच युवती द्वारा पोस्ट किया गया निमंत्रण पत्र सोशल मीडिया पर शेयर होते-होते जबर्दस्त वायरल हो गया। जिस दिन शादी थी, वहां 8,000 से ज्यादा मेहमान आ गए थे! उन्हें देखकर घरातियों के होश उड़ गए। उन्होंने इतने लोगों के लिए इंतजाम नहीं किए थे और न वे कर सकते थे।
बड़े आयोजनों में इस पहलू का खास ध्यान रखना चाहिए। अगर गर्मी पड़ रही हो तो छाया की व्यवस्था करें। सबके लिए ऐसा करना संभव न हो तो निजी छाता, पानी की बोतल आदि लाना अनिवार्य करें। नींबू, सौंफ, इलायची जैसी चीजें लाने की सलाह दें, ताकि किसी का जी मिचलाने पर इनके सेवन से कुछ राहत तो मिले।
आयोजन स्थल पर प्राथमिक चिकित्सा के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिएं। एंबुलेंस जैसे वाहनों की निकासी के संभावित मार्ग को लेकर जरूर विचार करना चाहिए। जो लोग स्वास्थ्य संबंधी कारणों से प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियां (बहुत गर्मी या बहुत सर्दी) और भीड़भाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते, उनसे विनम्र निवेदन करें कि वे अपनी जान जोखिम में न डालें।
आयोजन करने से पहले भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर सुरक्षा के बिंदुओं का आकलन जरूर करें। एक भी बिंदु को नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है। याद करें, साल 2018 में पंजाब के अमृतसर में दशहरे पर रावण दहन के दौरान बड़ा हादसा हुआ था। आयोजन स्थल से कुछ ही दूरी पर ट्रेन की पटरियां थीं। लोग वहां खड़े होकर मेले का आनंद ले रहे थे।
उसी दौरान ट्रेन आ गई और लगभग पांच दर्जन लोगों को काटती हुई निकल गई थी। जहां हंसी-खुशी का माहौल था, वहां मातम पसर गया। अगर आयोजक और दर्शक थोड़ी-सी सावधानी बरतते तो लोगों की जानें बच सकती थीं। सही तैयारी, सूझबूझ और सतर्कता से ही हादसों को टाला जा सकता है।