कर्नाटक उच्च न्यायालय ने नीलामी बोलियों को खारिज करने के बीडीए के अधिकार को बरकरार रखा

न्यायमूर्ति अनु शिवरामन और न्यायमूर्ति जी बसवराज की खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला

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बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बिना कारण बताए जमीन नीलामी में बोलियों को स्वीकार या अस्वीकार करने के बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अधिकार को बरकरार रखा है।

न्यायमूर्ति अनु शिवरामन और न्यायमूर्ति जी बसवराज की खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि बीडीए का निर्णय विधिसम्मत, जनहित से जुड़ा तथा आम जनता को लाभ पहुंचाने वाला था।

यह मामला तब उठा, जब बीडीए ने एकल न्यायाधीश की पीठ के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें सचिन नागराजप्पा नामक व्यक्ति की बोली को खारिज कर दिया गया था।

एकल न्यायाधीश ने बीडीए को नागराजप्पा की 1,54,000 रुपए प्रति वर्ग मीटर की बोली को मान्य करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद प्राधिकरण ने अपील दायर की थी।

बीडीए ने तर्क दिया कि उसकी कार्रवाई बीडीए (कॉर्नर साइट्स और वाणिज्यिक साइट्स का निपटान) नियम, 1984 के अनुरूप है, जो प्राधिकरण को बिना स्पष्टीकरण दिए बोलियों को स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार देता है।

बीडीए ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक संपत्ति की नीलामी का उद्देश्य उच्चतम संभव मूल्य प्राप्त करना होता है तथा यदि प्रस्तावित मूल्य अपर्याप्त पाया जाता है तो वह बोली रद्द करने का अधिकार रखता है।

खंडपीठ ने बीडीए की ई-नीलामी अधिसूचना के नियम 7 और सामान्य नियमों व शर्तों का हवाला देते हुए कहा कि नियम प्राधिकरण को बिना कारण बताए बोलियों को अस्वीकार करने की अनुमति देता है।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका विधायिका या नियामक निकायों द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक कि अवैधता या कदाचार का सबूत न हो।

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