बोतलबंद पानी में मिले हानिकारक केमिकल्स

बढ़ती मांग ने प्लास्टिक कचरे को बढ़ाया है, हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाला है

Photo: PixaBay

बाल मुकुन्द ओझा
मोबाइल: 9414441218

बर्मिघम और हैनान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक नए और ताज़ा खुलासे में दुनियाभर के पीने के पानी में हानिकारक केमिकल्स पाए गए है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक बोतलबंद पानी के 99 प्रतिशत नमूनों की जॉंच में पेरफ्लूरूक्टेन सल्फोनेट नामक खतरनाक केमिकल्स मिले है। कुल 153 नमूनों की जॉंच में विभिन्न देशों के बोतलबंद पानी में पीएफएएस का स्तर अलग अलग है। इससे पूर्व भी अनेक रिपोर्टों में बोतल बंद पानी को लेकर कई प्रकार के खुलासों में इन्हें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया था। पीएफएएस अत्यधिक फ्लोराइड युक्त पदार्थों का एक वर्ग है, जो लोगों और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है। पेरफ्लूरूक्टेन सल्फोनेट और पेरफ्लूरूक्टैनोइक एसिड से अंगों को नुकसान और कैंसर की बीमारी हो सकती हैं साथ ही ये अंतःस्रावी तंत्र के काम को रोक सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में बोतल बंद पानी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि यह पानी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, हर मिनट 10 लाख बोतलें बेची जा रही हैं। इस बढ़ती मांग ने न केवल कच्चे माल की खपत और प्लास्टिक कचरे को बढ़ाया है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। रिपोर्ट में बताया गया है बोतलबंद पानी में दूषित पदार्थों का स्तर 10 से 78 प्रतिशत तक हो सकता है इनमें माइक्रोप्लास्टिक भी शामिल हैं। ये प्रदूषक हार्मोनल असंतुलन, ऑक्सीडेटिव तनाव, और प्रतिरक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक के घटकों में पाए जाने वाले बीपीए जैसे केमिकल्स उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

आजकल बोतल का पानी पीने का रिवाज व्यापक रूप से प्रचलन में  है। घर हो या बाहर  हर जगह बोतल का पानी सर्व सुलभ है। इस पर अनेकों शोध होकर बोतल बंद पानी को स्वास्थ्य  के लिए हानिकारक बताया गया है।  कुछ दिनों पूर्व अमेरिका में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि दुकानों में बिकने वाले बोतलबंद पानी में लाखों छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं। शोध में स्पष्ट रूप से  इस पानी को जहरीला बताया। रिपोर्ट में बताया गया है पानी की बोतल में मिलियन की संख्या में छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को हानि पहुंचा सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने पहली बार दोहरे लेजर का उपयोग करके माइक्रोस्कोप द्वारा पता लगाया है कि बोतलबंद पानी के औसत लीटर में दो मिलियन से अधिक छोटे नैनोप्लास्टिक के अदृश्य टुकड़े होते हैं। कोलंबिया एंड रटगर्स यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं पता लगाया है कि तीन कॉमन बोतलबंद वाटर ब्रांड के प्रत्येक के पांच नमूनों को देखते हुए पाया एक लीटर पानी में 110,000 से 400,000 प्लास्टिक के टुकड़े थे, जो औसतन लगभग 240,000 हैं। ऐसे कण हैं जिनका आकार एक माइक्रोन से भी कम है। एक इंच में 25,400 माइक्रोन होते हैं - जिन्हें माइक्रोमीटर भी कहा जाता है क्योंकि यह एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा होता है। एक इंसान का बाल लगभग 83 माइक्रोन चौड़ा होता है। अध्ययनों में थोड़े बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए थे जिनकी रेंज 5 मिलीमीटर से लेकर एक चौथाई इंच से भी कम, एक माइक्रोन तक है। अध्ययन में पाया गया कि बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक की तुलना में लगभग 10 से 100 गुना अधिक नैनोप्लास्टिक पाए गए। 

आज घर घर में प्लास्टिक ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्लास्टिक की बोलत में पानी पीने से डायबिटीज सहित शरीर के विभिन्न अंगों में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या भी हो सकती है। ये बोलतें बाइफिनाइल  एक एस्ट्रोजन-मिमिकिंग केमिकल होता है, जो डायबिटीज, मोटापा, प्रजनन संबंधी समस्याएं, व्यवहार संबंधी समस्याएं और लड़कियों में जल्दी प्यूबर्टी का कारण बनता है। बताया जाता है प्लास्टिक से होने वाली हानि से सुरक्षित रहने के लिए प्लास्टिक की बोतल के बजाय तांबे, कांच या स्टेनलेस स्टील की बोतल से पानी पीना अधिक सुरक्षित है। विभिन्न अध्ययन रिपोर्टों में जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनके मुताबिक बोतलबंद पानी पर निर्भरता से स्वास्थ्य, धन और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। ऐसे में इसके बढ़ते उपयोग पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। सरकारों को भी, खास तौर पर कमजोर देशों में सुरक्षित पेयजल से जड़े बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।

About The Author: News Desk