कज़ान/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध का नहीं, बल्कि वार्ता और कूटनीति का समर्थन करता है। उन्होंने स्पष्ट संदेश में रूस-यूक्रेन विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा, 'हम युद्ध का नहीं, बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करते हैं। जिस तरह हम एकसाथ मिलकर कोविड जैसी चुनौती से पार पाने में सक्षम रहे, उसी तरह हम निश्चित रूप से भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, मजबूत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नए अवसर पैदा करने में सक्षम हैं।'
शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग सहित ब्रिक्स देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की भी वकालत की और कहा कि इस खतरे से लड़ने में कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद और आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए हमें सभी के एकजुट, दृढ़ समर्थन की जरूरत है। इस गंभीर मामले में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा, 'हमें अपने देशों में युवाओं के कट्टरपंथीकरण को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। हमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सम्मेलन में लंबे समय से लंबित मामले पर मिलकर काम करना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'इसी तरह, हमें साइबर सुरक्षा और सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमों पर काम करने की जरूरत है।'
मोदी ने कहा कि भारत ब्रिक्स में साझेदार देशों के रूप में नए देशों का स्वागत करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा, 'इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए और ब्रिक्स संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए।'