तेल अवीव/दक्षिण भारत। ईरान पर शनिवार को हुए इजराइली हमले में 100 से ज्यादा विमान शामिल थे, जिनमें अत्याधुनिक एफ-35 भी था।
सीरिया में रडार लक्ष्यों पर इजराइल के शुरुआती हमले का मकसद ईरान की क्षमताओं को 'अवरुद्ध' करना था, जो जल्द ही तेहरान और एक अन्य रणनीतिक स्थान करज को निशाना बनाकर हमले में बदल गया था।
आईडीएफ ने पुष्टि की है कि यह अभियान सिर्फ सैन्य ठिकानों पर केंद्रित था और व्यापक संघर्ष को रोकने के लिए परमाणु और तेल सुविधाओं से दूरी बनाकर रखी गई थी। इजराइल में हाई अलर्ट जारी है, क्योंकि उसे सिर्फ ईरान से नहीं, बल्कि अन्य देशों से भी जवाबी कार्रवाई की आशंका है।
इस बड़े पैमाने पर हमले में 100 से ज़्यादा विमान शामिल थे, जिनमें एफ-35 अदिर स्टील्थ फाइटर भी शामिल थे। उन्होंने लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की। विदेशी रिपोर्टों के अनुसार, हमले तेहरान और करज पर केंद्रित थे। वहीं, आईडीएफ ने कहा कि हर हमले में सिर्फ़ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिससे आगामी संघर्ष के जोखिम को कम किया जा सके।
इस अभियान की शुरुआत संभवतः रडार और वायु रक्षा प्रणालियों पर हमला करने से हुई होगी, जिससे सैन्य ठिकानों पर बाद में होने वाले हमलों के लिए रास्ता साफ हो गया। इससे पहले, सीरिया में एक समन्वित हमले ने इसी तरह के खतरों को बेअसर कर दिया था, जिससे ईरान को इजराइल की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने से रोका जा सका था।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि भारी हथियारों का उपयोग करते हुए, लंबी दूरी के हमलों के लिए पर्याप्त ईंधन भरने की क्षमता की जरूरत होती है तथा 669 बचाव इकाई को उच्च अलर्ट पर रहना पड़ता है।
आईडीएफ अब ईरान, इराक, यमन, सीरिया और लेबनान की संभावित प्रतिक्रियाओं पर बारीकी से नजर रख रहा है। अगर इनमें से किसी भी देश ने हमला बोला तो इजराइल की प्रतिक्रिया और ज्यादा घातक हो सकती है।