तेल अवीव/दक्षिण भारत। आईडीएफ ने ईरान के खिलाफ़ शुक्रवार रात और शनिवार सुबह कई चरणों में किए गए हमलों के अपने अभियान को ऑपरेशन 'डेज़ ऑफ़ रिपेंटेंस' नाम दिया है। इज़राइल ने ऐसा रहस्यमय नाम क्यों चुना?
'डेज़ ऑफ़ रिपेंटेंस' या 'पश्चाताप के दिन' यहूदी धर्म में रोश हशनाह और योम किप्पुर के बीच के दस दिनों की ओर संकेत करता है, जिसे पश्चाताप के 10 दिनों के रूप में जाना जाता है। इस अवधि में लोगों को अपने कार्यों पर विचार करने, सुधार करने और ईमानदारी के मार्ग पर लौटने के लिए कहा जाता है।
हिब्रू शब्द तेशुवा, जिसका अर्थ है 'वापसी', आध्यात्मिक नवीनीकरण और आत्म-सुधार के इस विचार को अभिव्यक्त करता है।
यहूदी परंपरा में इन दिनों को एक अवसर के रूप में देखा जाता है, जब 'स्वर्ग के द्वार' खुले होते हैं, जिससे व्यक्ति क्षमा मांग सकता है और स्वयं को उच्च मूल्यों के साथ जोड़ सकता है। इस ऑपरेशन का नाम इस समय के नाम पर रखकर इजराइल जवाबदेही के महत्त्व और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर करना चाहता है।
'ऑपरेशन डेज़ ऑफ़ रिपेन्टेंस' कई प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। 7 अक्टूबर की घटना के एक साल पूरे होने पर यह अभियान शुरू किया गया। यह सिमचत तोराह के एक दिन बाद शुरू किया गया, जो एक साल पहले 7 अक्टूबर को हुई घटना की वर्षगांठ थी।
यह समय इस अभियान को एक ऐतिहासिक महत्त्व देता है तथा इजराइल के पड़ोसियों को आक्रमण के 'दुष्परिणामों' की याद दिलाता है।
इसके अलावा, कार्रवाई के जरिए उच्च पवित्र दिनों के बाद के संदेश के तौर पर काम किया है। यह कार्रवाई नवीनीकरण की भावना में निहित कार्रवाई के आह्वान को दर्शाती है।
इजराइल द्वारा परमाणु और तेल संयंत्रों पर हमले से बचने तथा सैन्य लक्ष्यों पर धावा बोलने का फैसला संयम का संकेत देता है। साथ ही निर्णायक प्रतिक्रिया देने की उसकी क्षमता को भी जाहिर करता है।
यह नाम हिज्बुल्लाह और हमास के हमलों के साथ-साथ ईरान से बढ़ते खतरों को लेकर इजराइल की सीधी प्रतिक्रिया को अभिव्यक्त करता है। इस नाम का चयन इजराइल की सैन्य प्रतिक्रिया को आत्मरक्षा के प्रति उसके संकल्प के साथ जोड़ता है और अपने नागरिकों के खिलाफ किसी भी खतरे का मुकाबला करने के संकल्प को मजबूत करता है।