तेल अवीव/दक्षिण भारत। इजराइली वायुसेना ने ईरान के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई के तहत लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए ठोस ईंधन बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले एक दर्जन ठिकानों पर हमला किया, जिससे तेहरान की अपने भंडार को फिर से भरने की क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन लक्ष्यों पर हमला किया गया, वे अत्याधुनिक उपकरण थे, जिन्हें ईरान अपने दम पर नहीं बना सकता था और उन्हें चीन से खरीदना पड़ा। रिपोर्ट ने तीन अज्ञात इज़राइली स्रोतों का हवाला देते हुए कहा कि ये लक्ष्य ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम का एक महत्त्वपूर्ण घटक थे।
इज़राइली सूत्रों ने यह भी बताया कि चार एस-300 वायु रक्षा बैटरियों पर हमला किया गया, जो रणनीतिक स्थानों पर थीं और ऑपरेशन के दौरान तेहरान में परमाणु और ऊर्जा सुविधाओं की रक्षा कर रही थीं।
ड्रोन उत्पादन के लिए एक फैक्ट्री तथा परचिन सैन्य परिसर में एक सुविधा पर भी हमला किया गया, जहां पहले परमाणु हथियारों के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां होती थीं।
एक अरबी अख़बार के अनुसार, इजराइल ने ईरान में एक गुप्त बैलिस्टिक मिसाइल कारखाने को निशाना बनाया, जिससे खीबर और हज कासिम मिसाइलों को चलाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले भारी ईंधन मिक्सर की बड़ी संख्या नष्ट हो गई। इन दोनों ही मिसाइलों को ईरान ने इस महीने की शुरुआत में इजराइल पर दागा था।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जिन एस-300 वायु रक्षा बैटरियों पर हमला किया गया, वे रूस निर्मित थीं तथा उन्होंने सीरिया और इराक में इन प्रणालियों और अन्य प्रणालियों को शक्ति प्रदान करने वाले राडार को नष्ट कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैलिस्टिक मिसाइल फैक्ट्री पूरी तरह से नष्ट हो गई। एक सूत्र ने बताया कि यह ईरान के मिसाइल उद्योग की रीढ़ थी और इज़राइल ने इसे सेवा से बाहर कर दिया। साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि नष्ट किए गए हर भारी ईंधन मिक्सर की कीमत कम से कम दो मिलियन डॉलर आंकी गई थी और इस प्रकार के लगभग बीस मिक्सर नष्ट हो गए।
बताया गया कि ऐसे उपकरणों को फिर से चालू करने में कम से कम एक साल का समय लगेगा। ईरानी मिसाइल उद्योग के जानकार सूत्रों ने बताया कि नष्ट हो चुके कारखाने को फिर से चालू करने में कम से कम दो साल का समय लगेगा।
सूत्रों ने इजराइली मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अनुमानित समय छह महीने से एक साल तक है।
कुल मिलाकर, 100 से ज्यादा इजराइली विमानों ने ईरानी लक्ष्यों पर हमले में भाग लिया। उनका मिशन ईरान की सबसे उन्नत विमान-रोधी प्रणालियों पर हमला करना और किसी भी संभावित ऑपरेशन के लिए वहां इस तरह से हवाई श्रेष्ठता विकसित करना था कि इजराइली लड़ाकू जेट भविष्य में तेहरान के आसमान में अपेक्षाकृत कम ऊंचाई पर भी उड़ान भरने में सक्षम हो सकें।
अनुमान है कि हमलों से हुए नुकसान का आकलन करने में अभी कई दिन लगेंगे।