गांधीनगर/दक्षिण भारत। गुजरात के गांधीनगर स्थित स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर में सोमवार को नीलकंठ वर्णी महाराज की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। 49 फीट ऊंची इस प्रतिमा के प्रतिष्ठा समारोह में बड़ी संख्या में संतजन एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।
इस अवसर पर यज्ञ अनुष्ठान हुआ। पूजन में 555 तीर्थों का पवित्र जल शामिल किया गया। वहीं, 1,550 श्रद्धालुओं ने विश्वशांति महायज्ञ में भाग लेकर सबके कल्याण की कामना की।
पूजाविधि बीएपीएस संत श्रुतिप्रकाश स्वामी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कराई। उन्होंने आनंदस्वरूप स्वामी, विश्वविहारी स्वामी को चांदलो लगाया। पूर्वन्यास विधि होने के बाद नीलकंठ वर्णी महाराज के 108 नामों का जाप किया गया।
अक्षरवत्सलदास स्वामी ने इस प्रतिमा से जुड़ी विशेषताएं बताईं। उन्होंने कहा कि यह सबसे ऊंची तपस्वी प्रतिमा है। भगवान स्वामिनारायण ने नेपाल में कठोर तप किया था। यह प्रतिमा उसी स्वरूप को दर्शाती है।
बताया गया कि लगभग तीन दशक पहले, प्रमुख स्वामी महाराज ने गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कराया था। यहां महंत स्वामी महाराज के दिशा-निर्देशों के अनुसार भव्य समारोह में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान अद्भुत वातावरण था। श्रद्धालुओं ने संतों की उपस्थिति में धर्म एवं संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त किया।
बीएपीएस के वरिष्ठ संत ईश्वरचरण स्वामी, कोठारी स्वामी, त्यागवल्लभ स्वामी, विवेकसागर स्वामी एवं अनेक संतों ने समारोह को दिव्य बनाया।
बता दें कि भगवान स्वामिनारायण ने मुक्तिनाथ में विशेष मुद्रा में 2 महीने और 20 दिनों तक तप किया था। अमेरिका में न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले में भी नीलकंठ वर्णी महाराज की 49 फीट ऊंची प्रतिमा है। जो श्रद्धालु वहां स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर जाते हैं, वे उस प्रतिमा के दर्शन करते हैं।