जनजातीय गौरव के नायक अल्लूरी सीताराम राजू

उनकी ख्याति आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित हुई

भारत मां के वीर सपूत थे अल्लूरी सीताराम राजू

डॉ. रामेश्वर मिश्र
मोबाइल: 8318845900

आज हम भारतीय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं| क्या हम अपने जनजातीय योद्धाओं एवं उनकी विरासत को वह सम्मान दे पा रहें है जिसके वह हकदार है| आजादी की लड़ाई के जनजातीय योद्धाओं के गौरव को आत्मसात करने के लिए हमारे द्वारा क्या किया जा रहा है यह विषय प्रासंगिक हो जाता है| स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए जंगलों और गांवों में जनजातियों द्वारा जो संघर्ष किया गया क्या उन जनजातीय योद्धाओं को हम उचित स्थान दे रहे है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आजादी के अमृत महोत्सव को ह्रदय गम्य एवं मर्मस्पर्शी बनाने के लिए आजादी की लड़ाई का हिस्सा बनने वाले जनजातीय जननायकों को याद करने का आवाहन किया जिन्होंने अपने खून पसीने के बदले हमारी स्वतंत्रता को खरीदा है, परंतु दुर्भाग्य से आज वे योद्धा और उनकी विरासत गुमनामी में है|  अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए जनजातीय समाज भी अपने प्राणों का उत्सर्ग करने से पीछे नहीं रही| दक्षिण भारत में जनजातीय समाज का गौरव अल्लूरी सीताराम राजू थे, जिन्होंने अंग्रेजी शासन तंत्र के विरोध में जनजातीय समाज को जोड़ने का कार्य किया| अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म ४ जुलाई १८५७ को विशाखापट्टनम के पाडिरक गांव में हुआ था| अल्लूरी सीताराम राजू का पालन पोषण उनके चाचा अल्लूरी रामकृष्ण के परिवार में हुआ था| अल्लूरी के पिता अल्लूरी वेंकट राम राजू गोदावरी के माम्मूल ग्राम में रहकर किसानी का काम करते थे| अल्लूरी सीताराम राजू ने अपनी शिक्षा निजी तौर पर ग्रहण की थी उन्होंने ज्योतिष विद्या एवं वैद्य की शिक्षा ग्रहण की थी| अल्लूरी सीताराम राजू के पिता ने प्रारंभ से ही अंग्रेजों के विरुद्ध अल्लूरी सीताराम राजू के मन में अलख जगाने का कार्य किया| जिससे युवा अवस्था में अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों के दमन और शोषण की नीति से युवाओं को अवगत कराकर संगठित करने का कार्य किया| अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे दमनात्मक कार्य एवं लूट को आदिवासी समाज तक पहुंचाने के लिए अपनी ज्योतिष विद्या एवं वैद्यकीय कार्य को माध्यम के रूप में चुना जिससे आसानी से आदिवासी समाज के लोग अल्लूरी सीताराम राजू से जुड़ने लगे|

आदिवासी समाज में अल्लूरी सीताराम की ख्याति आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्थापित हुई| अल्लूरी ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपने संघर्ष को प्रारंभ करने से पहले सीतामाई नामक पहाड़ी गुफा में दो वर्षों तक साधना की थी| वहां साधना के दौरान अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी समाज की पीड़ा को महसूस किया| तदुपरांत उन्होंने अपने पिता की कही बातों पर कार्य करना प्रारंभ किया| अल्लूरी सीताराम राजू के द्वारा अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के कार्य में अनेक युवा साथ आए इसमें वीरयादौरा प्रमुख था| अल्लूरी और वीरयादौरा दोनों जनजातीय समाज और गिरिजनों को अंग्रेजों के खिलाफ एकत्र करने में जुट गए| अल्लूरी सीताराम राजू और वीरयादौरा के जनजागरण के कार्य से अंग्रेजी शासन तंत्र घबरा उठा और इन दोनों साथियों को पकड़ने के लिए अंग्रेजी सरकार ने १०००० का इनाम रखा| यह धनराशि उस समय एक बड़ा प्रलोभन थी| इन दोनों जनजातीय नायकों का संगठन धीरे-धीरे बढ़ता गया| इस समय इन दोनों जनजातीय नायकों से अंग्रेजी हुकूमत परेशान होने लगी| अल्लूरी सीताराम राजू का समाज पर गहरा प्रभाव था जिसके फलस्वरूप आंध्र में अंग्रेजों के विरुद्ध युवाओं ने संगठित होकर संघर्ष बुलंद कर दिया| अल्लूरी सीताराम राजू के अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष की गाथाएं अखबारों में प्रकाशित होती रही, १९२८ से १९२९ के मध्य आंध्र के तेलुगू साप्ताहिक अखबार कांग्रेस में अल्लूरी सीताराम के संघर्ष प्रकाशित हुए हैं| इस साप्ताहिक समाचार पत्र के तत्कालीन संपादक पटूरि अन्यपूर्णाय्या ने अल्लूरी के संगठन नेतृत्व क्षमता पर लिखा है कि आंध्र के नौजवानों ने अगर किसी व्यक्ति के नेतृत्व में अंग्रेजों से संघर्ष जारी रखा तो वह राजू था, राजू का यह संघर्ष इतिहास में प्रथम था|

अल्लूरी सीताराम राजू ने अपने संगठन को अंग्रेजों के विरुद्ध सशक्त करने के लिए उत्तर भारत के युवा साथियों से संपर्क करना प्रारंभ किया| अल्लूरी सीताराम राजू ने अपने संगठन के साथ मिलकर प्रयास किया कि जनजातीय समाज द्वारा किया जाने वाला संघर्ष केवल जनजातीय समाज एवं गिरिजनो के आत्म सम्मान या उनके निजी हित का संघर्ष नही है वरन जनजातियों का यह संघर्ष भारत मां की स्वतंत्रता के लिए किया जाने वाला संघर्ष है| अल्लूरी सीताराम राजू द्वारा राष्ट्रीयता से जुड़े विषयों पर जोरदार संघर्ष आंध्र में किया जाता था| अल्लूरी सीताराम राजू ने जनजातीय युवाओं के सहयोग से गदर पार्टी के नेता बाबा पृथ्वी सिंह को जेल से छुड़ाने के लिए जोरदार संघर्ष किया गया जो उस समय राजमुंदरी के जेल में बंद थे| अल्लूरी सीताराम राजू के राष्ट्रीय संघर्ष के प्रयास से उसे देश के हर स्वतंत्रता प्रेमियों द्वारा जाना जाने लगा| अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए गोरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाया, अंग्रेजों के साथ संघर्ष करके अल्लूरी सीताराम राजू और उसके साथी नल्लई मल्लई की पहाड़ियों में आकर अंतर्ध्यान हो जाते| यह पहाड़ी श्रृंखला जो गोदावरी नदी के पास फैली थी यह अल्लूरी सीताराम राजू और उनके साथियों की शरण स्थली थी| जनजातीय समाज के नौजवान साथियों को अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए यही पर सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता था| अल्लूरी सीताराम राजू के इस नल्लई मल्लई के पहाड़ी क्षेत्र को रम्पा कहा जाता था| अल्लूरी सीताराम राजू द्वारा लगातार अंग्रेजों के विरोध संघर्ष करके इसी पहाड़ी में चकमा देकर अंतर्ध्यान हो जाने से अंग्रेजी सरकार की सारी योजनाएं व्यर्थ साबित होती थी| आंध्र की अंग्रेजी हुकूमत ने परेशान होकर केरल के मालवार के अंग्रेजी सिपाहियों को अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ने के लिए लगाया क्योंकि मालवार के अंग्रेजी सैनिक गुरिल्ला युद्ध प्रणाली में अनुभवी थे| मालवार से यह दस्ता अल्लूरी को पकड़ने के लिए १२ अक्टूबर १९२२ को नल्लई-मल्लई की ओर रवाना हुआ| इस मालवार दस्ते से अल्लूरी सीताराम राजू से संघर्ष हुआ जिसमें मालवार सैनिकों को मुह की खानी पड़ी और अल्लूरी सीताराम राजू को अंग्रेज़ी हुकूमत गिरफ्तार नहीं कर पाई| अल्लूरी सीताराम राजू से परेशान एवं डरकर अंग्रेजी हुकूमत ने अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ने के लिए असम राइफल्स के सैन्य दस्ते को लगाया गया| असम राइफल्स से अल्लूरी सीताराम राजू का पहला संघर्ष ६ मई १९२४ को हुआ| इस संघर्ष में अल्लूरी सीताराम राजू के कई साथी शहीद हो गए लेकिन इस बार भी अल्लूरी सीताराम को अंग्रेजी सैनिक पकड़ नहीं पाये| अब अल्लूरी की तलाश में ईस्ट कोस्ट की पुलिस नल्लई-मल्लई की पहाड़ी में छापे मारा करती  जिसके उपरांत ७ मई १९२४ को जंगल में अकेले टहलते समय अंग्रेजों ने अल्लूरी सीताराम राजू को पकड़ लिया और गोदावरी नदी के किनारे वृक्ष में बांधकर इस स्वतंत्रता प्रेमी को गोलियों से भून दिया गया| यह हमारे एक देशभक्त क्रांतिकारी की जीवन यात्रा थी, जिसने अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित कर दिया| अल्लूरी सीताराम राजू के देशभक्ति पूर्ण कार्य को नमन करते हुए महात्मा गांधी ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू का त्याग, बलिदान, मुसीबतो भरा जीवन,  सेवा भावना, लगन, निष्ठा और अदम्य हिम्मत के प्रेरणादायक है| अल्लूरी सीताराम राजू की देश सेवा को नमन करते हुए सुभाष चंद्र बोस ने भी कहा है कि देशवासियों उस योद्धा के सम्मान में विनत हो, उसकी सेवा, समर्पण भावना, देश अनुराग, असीम धीरज और पराक्रम गौरव गरिमा मंडित है| जनजाति गौरव दिवस पर देशभक्त भारत मां के ऐसे वीर सपूत अल्लूरी सीताराम राजू को शत-शत नमन|

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