दांव पर लगी एग्जिट पोल की साख
2 एग्जिट पोल्स ने त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए हैं
फोटो: संबंधित पार्टियों के फेसबुक पेजों से।
.. योगेश कुमार गोयल ..
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के लिए अंतिम चरण के मतदान की प्रक्रिया के समापन के साथ ही तमाम टीवी चैनलों द्वारा विभिन्न सर्वे एजेंसियों के सहयोग से एग्जिट पोल का प्रसारण कर दिया गया| महाराष्ट्र की सभी सीटों पर एक चरण में और झारखंड में दो चरणों में मतदान हुआ और मतदान की प्रक्रिया के समापन के साथ ही दोनों राज्यों के एग्जिट पोल भी सामने आ गए्| लगभग सभी एग्जिट पोल्स में जहां महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन की जीत की संभावना जताई गई है, वहीं झारखंड में कांटे का मुकाबला दर्शाया गया है| महाराष्ट्र के लिए कुल ११ एग्जिट पोल जबकि झारखंड के लिए ८ एग्जिट पोल आए हैं्| महाराष्ट्र के लिए आए सभी एग्जिट पोल में से ६ में भाजपा गठबंधन यानी महायुति की सरकार जबकि ४ में कांग्रेस गठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी को बहुमत का अनुमान है| इसी प्रकार झारखंड के लिए आए एग्जिट पोल में से ४ में भाजपा गठबंधन और २ में इंडिया ब्लॉक को बहुमत के आसार जताए गए हैं जबकि २ एग्जिट पोल्स ने त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए हैं|महाराष्ट्र की कुल २८८ विधानसभा सीटों में चाणक्य स्ट्रैटजीज के एग्जिट पोल में महायुति गठबंधन को १५२ से १६० सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई है जबकि महाविकास अघाड़ी को १३० से १३८ सीटें मिलने की संभावना जताई गई है| वहीं, पी-एमएआरक्यू के एग्जिट पोल में महायुति को १३७ से १५७ सीटें जबकि महाविकास अघाड़ी को १२६ से १४६ सीटें मिलने की संभावना व्यक्त की गई है| न्यूज १८ मैट्रिज के एग्जिट पोल में महायुति गठबंधन को १५० से १७० सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है जबकि महाविकास अघाड़ी को ११० से १३० सीटें मिलने का अनुमान है| पोल ऑफ पोल्स में भाजपा की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन को १४६ सीटें और कांग्रेस की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी को १२९ सीटें मिलने का अनुमान व्यक्त किया गया है, अन्य के खाते में १३ सीटें जाने की उम्मीद जताई गई है| इसी प्रकार झारखंड की कुल २८८ विधानसभा सीटों में बहुमत का आंकड़ा ४१ है और यहां मैटराइज, चाणक्य, पीपुल्स पल्स तथा टाइम्स नाउ के एग्जिट पोल में राज्य में एनडीए की बहुमत वाली सरकार बनने का अनुमान व्यक्त किया है जबकि एक्सिस माय इंडिया और पी मार्क के एग्जिट पोल के मुताबिक राज्य में फिर से इंडिया गठबंधन की सरकार बन सकती है| वहीं मतदान प्रक्रिया के समापन के एक दिन बाद सामने आया एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल तो हर किसी को चौंका रहा है, जिसमें महायुति को ४८ प्रतिशत मत के साथ १७८ से २०० के बीच सीटें जीतने की संभावना जताई गई है जबकि एमवीए के महज ३७ फीसदी मतों के साथ ८२ से १०० के बीच सिमटने की भविष्यवाणी की गई है| वहीं, एक्सिस माय इंडिया के पोल के मुताबिक झारखंड में ८१ विधानसभा सीटों में से इंडिया गठबंधन ४९-५९ सीटें जीतकर मजबूत सरकार बनाने जा रहा है जबकि एनडीए के १२-१७ सीटों पर ही सिमटने का अनुमान है|
चूंकि अनेक अवसरों पर यह साबित हो चुका है कि अधिकांश एग्जिट पोल वास्तविक चुनावी नतीजों से मेल नहीं खाते और शायद यही कारण है कि लगभग सभी टीवी चैनल भी अब एग्जिट पोल का प्रसारण करते समय यह उल्लेख करते रहते हैं कि ये केवल एग्जिट पोल हैं, एग्जेक्ट पोल नहीं्| अब यह तो २३ नवंबर को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद स्पष्ट हो ही जाएगा कि इस बार के एग्जिट पोल सटीक साबित होते हैं या केवल हवा-हवाई्| दरअसल पिछले कुछ चुनावों में कुछेक एग्जिट पोल के अनुमान भले ही काफी हद तक चुनाव परिणामों के करीब रहे हों लेकिन यह भी सच है कि कम से कम भारत में तो एग्जिट पोल का इतिहास ज्यादा सटीक नहीं रहा है| पिछले ही महीने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर भी जितने भी एग्जिट पोल सामने आए थे, सभी बुरी तरह धराशायी हुए थे| दरअसल सभी एग्जिट पोल में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई थी लेकिन उसके बिल्कुल उलट भाजपा ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर लगातार तीसरी बार सरकार बनाई थी| ४ जून को आए लोकसभा चुनाव नतीजों ने भी एग्जिट पोल की विश्वसनीयता को लेकर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाया था| दरअसल तब भी अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा के ३०० के करीब सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया था लेकिन भाजपा २४० सीटों पर ही सिमट गई थी| कई एग्जिट पोल्स ने तो एनडीए को ३५० से ४०० तक सीटें मिलने की भी भविष्यवाणी कर डाली थी लेकिन वास्तविक नतीजों में एनडीए ३०० सीटों का आंकड़ा भी नहीं छू पाया था|
वैसे तो एग्जिट पोल ओपिनियन पोल का ही हिस्सा होते हैं किन्तु ये मूल रूप से ओपिनियन पोल से अलग होते हैं्| ओपिनियन पोल में मतदान करने और नहीं करने वाले सभी प्रकार के लोग शामिल हो सकते हैं्| ओपिनियन पोल मतदान के पहले किया जाता है जबकि एग्जिट पोल चुनाव वाले दिन ही मतदान के तुरंत बाद किया जाता है| एग्जिट पोल से पहले चुनावी सर्वे किए जाते हैं और सर्वे में बहुत से मतदान क्षेत्रों में मतदान करके निकले मतदाताओं से बातचीत कर विभिन्न राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशियों की हार-जीत का आकलन किया जाता है| अधिकांश मीडिया संस्थान कुछ प्रोफैशनल एजेंसियों के साथ मिलकर एग्जिट पोल करते हैं्| ये एजेंसियां मतदान के तुरंत बाद मतदाताओं से यह जानने का प्रयास करती हैं कि उन्होंने अपने मत का प्रयोग किसके लिए किया है और इन्हीं आंकड़ों के गुणा-भाग के आधार पर यह जानने का प्रयास किया जाता है कि कहां से कौन हार रहा है और कौन जीत रहा है| इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं, उसे ही ‘एग्जिट पोल’ कहा जाता है| चूंकि इस प्रकार के सर्वे मतदाताओं की एक निश्चित संख्या तक ही सीमित रहते हैं, इसलिए एग्जिट पोल के अनुमान हमेशा सही साबित नहीं होते| बहरहाल, अब देखना यही है कि एग्जिट पोल आखिर कितने सही साबित होते हैं?