'कर्तव्य प्रधान जीवन वाले ही धर्मात्मा बनकर नाम रोशन करते हैं'

विनय मुनि खींचन ने शनिवार को प्रवचन में कहा ...

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बेंगलूरु/दक्षिण भारत। बेंगलूरु में शिवाजी नगर के गणेश बाग में विराजित विनय मुनि खींचन ने शनिवार को प्रवचन में कहा कि जितने भी भव्य भवन-महल बनते है, उनकी नींव उतनी ही गहरी और मजबूत होती है। अगर परिवार की नींव मजबूत है तो कुटुंब छिन्न-भिन्न नहीं हो सकता है। धर्मगुरु सदैव एक उपदेश देते हैं कि धर्म करो, ध्यान करो। यदि घर-परिवार में धर्म आ जाता है तो समस्याएं उठती ही नहीं हैं। वर्तमान जीवन शैली में व्यक्ति अपने कर्तव्यों को पूरी तरह नहीं निभा पा रहा है।

उन्होंने कहा कि कर्तव्यपथ पर भाषा का बड़ा योगदान है। भाषा कितनी-कब-कैसी बोलें, यह सीखे बिना सब उल्टा हो जाता है। कर्तव्यों में प्रथम कर्तव्य पूज्यों के प्रति श्रद्धा, सेवा, समर्पण के भाव रखना जरूरी है। धर्म की बात करने, लेकिन कर्तव्य से दूर रहने से ही परिवार में परस्पर तालमेल नहीं बैठ रहा है। कर्तव्य प्रधान जीवन वाले ही धर्मात्मा बनकर देश, समाज, परिवार का नाम रोशन करते हैं।

शिवाजी नगर से विजयाबाई सांखला, मेट्टूपलायम से मीठालाल दुग्गड़, शषाद्रीपुरम से किशनलाल नाहटा, मुनीरेड्डी पाल्लियम से नवरतनमल जांगड़ा, डबल रोड से प्रकाश चंद डूंगरवाल, चेन्नई से राजेश कोठारी, हीरा बाग से मधु समदड़िया, चेन्नई से सुशीला मेहता, ब्यावर से अनीता श्रीश्रीमाल, कविता बेताल तथा बेंगलूरु से अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।

संघ महामंत्री संपत राज मांडोत ने सभी का स्वागत करते हुए आभार जताया। उन्होंने घोषणा की कि 25 नवंबर को भगवान महावीर का दीक्षा कल्याणक तप, त्याग, धर्म ध्यान से दो-दो सामायिक से मनाया जाएगा। उन्होंने श्रद्धालुओं से भाग लेने की अपील की।

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