बांग्लादेश: उच्च न्यायालय ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से किया इन्कार

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं

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ढाका/दक्षिण भारत। बांग्लादेश में उच्च न्यायालय ने देश में इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वप्रेरणा से आदेश पारित करने से इ्नकार कर दिया। न्यायालय को बताया गया कि संबंधित प्राधिकारियों ने इस संबंध में आवश्यक कदम उठा लिए हैं।

कार्यवाही शुरू होने के बाद, अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने न्यायमूर्ति फराह महबूब और न्यायमूर्ति देबाशीष रॉय चौधरी की उच्च न्यायालय पीठ के समक्ष जानकारी रखी।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पीठ ने आशा व्यक्त की कि सरकार को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति तथा बांग्लादेश के लोगों के जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना चाहिए।

उन्होंने यह टिप्पणी तब की, जब अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीक आर हक और डिप्टी अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असद उद्दीन ने उच्च न्यायालय की पीठ को बताया कि वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या और इस्कॉन की गतिविधियों के संबंध में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं और इन मामलों में 33 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

बुधवार को उच्चतम न्यायालय के वकील मोहम्मद मोनिर उद्दीन ने उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष इस्कॉन के बारे में कुछ समाचार पत्र रिपोर्टें रखीं और अनुरोध किया कि वह सरकार को इसके संचालन पर प्रतिबंध लगाने और चटगांव, रंगपुर और दिनाजपुर में धारा 144 लगाने के लिए स्वप्रेरणा से आदेश जारी करे।

उस दिन अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, 'आप बताएं कि इस्कॉन की हालिया गतिविधियों के संबंध में सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?'

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