नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारत-चीन संबंधों पर संसद में दिए गए बयान को लेकर सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने रविवार को पूछा कि क्या मोदी सरकार अप्रैल 2020 से पहले प्रचलित 'पुराने सामान्य' की जगह 'नए सामान्य' पर सहमत हो गई है और मांग की कि संसद को दोनों देशों के बीच संबंधों के पूर्ण पहलू पर बहस करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि भारत-चीन संबंधों पर संसद में चर्चा रणनीतिक और आर्थिक नीति दोनों पर केंद्रित होनी चाहिए, खासकर इसलिए क्योंकि चीन पर हमारी निर्भरता आर्थिक रूप से बढ़ गई है, जबकि उसने चार साल पहले हमारी सीमाओं पर यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदल दिया था।
एक बयान में रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा संसद के दोनों सदनों में 'चीन के साथ भारत के संबंधों में हालिया घटनाक्रम' शीर्षक से हाल ही में स्वप्रेरणा से दिए गए बयान का अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन मोदी सरकार की विशेषता है कि सांसदों को कोई स्पष्टीकरण मांगने की अनुमति नहीं दी गई।
भारत-चीन सीमा संबंधों के कई पहलुओं की संवेदनशील प्रकृति की पूरी तरह सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जारी बयान पर कांग्रेस के चार सवाल हैं।
रमेश ने कहा कि बयान में दावा किया गया है कि 'सदन जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों की परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ है।' बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संकट पर राष्ट्र को पहला आधिकारिक संचार 19 जून, 2020 को आया था, जब प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से चीन को क्लीन चिट दे दी थी और झूठा बयान दिया था कि 'न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है'।
रमेश ने कहा, 'यह न केवल हमारे शहीद सैनिकों का अपमान था, बल्कि इससे बाद की वार्ताओं में भारत की स्थिति भी कमजोर हुई। प्रधानमंत्री को यह बयान देने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?'