मैगडेबर्ग/दक्षिण भारत। जर्मन शहर मैगडेबर्ग में क्रिसमस बाजार में हुई घातक घटना के पीछे संदिग्ध, एक सऊदी नागरिक जिसकी पहचान तालेब ए के रूप में हुई है, का पहले भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ टकराव हो चुका है। मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गई है।
हालांकि, प्रत्यर्पण के लिए उसके गृहदेश के अनुरोधों पर चुप्पी साध ली गई थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने जर्मन अधिकारियों को इस व्यक्ति के बारे में करीब एक साल पहले ही चेतावनी दे दी थी। हालांकि चेतावनी की प्रकृति के बारे में तुरंत पता नहीं चल पाया है।
सुरक्षा सूत्रों ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि रियाद ने 50 वर्षीय डॉक्टर के प्रत्यर्पण का भी अनुरोध किया था, लेकिन बर्लिन से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब ने देश के अधिकारियों को कई बार संदिग्ध द्वारा ट्विटर पर खुलेआम व्यक्त किए गए चरमपंथी विचारों के बारे में चेतावनी दी थी। तालेब ए. के बारे में कहा जाता है कि वह कट्टरपंथ विरोधी था, जिसने सार्वजनिक रूप से अपने मजहब का त्याग कर दिया था।
संदिग्ध व्यक्ति साल 2006 से जर्मनी में रह रहा है। उसे साल 2016 में ही संरक्षित दर्जा प्राप्त हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले, साल 2013 में जर्मन कानून के साथ उसका टकराव हुआ था, जब उसे 'अपराध की धमकी देकर सार्वजनिक शांति भंग करने' का दोषी ठहराया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि उस व्यक्ति पर लगभग 900 यूरो का जुर्माना लगाया गया तथा उसे जर्मनी में रहने की अनुमति दे दी गई, क्योंकि उसे डर था कि यदि उसे उसके मूल देश वापस भेज दिया गया तो 'तुरंत फांसी दे दी जाएगी'। जाहिर है, इस सजा से उसके शरण अनुरोध पर कोई असर नहीं पड़ा था।
संदिग्ध ने कथित तौर पर शुक्रवार शाम को मैगडेबर्ग के क्रिसमस बाजार में भीड़ पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें एक बच्चे सहित कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और लगभग 200 अन्य घायल हो गए, जिनमें से 41 की हालत गंभीर है।
अधिकारियों ने बताया कि अभी तक हमले के पीछे का मकसद स्पष्ट नहीं हो पाया है। हालांकि, मैगडेबर्ग के अभियोजक होर्स्ट नोपेन्स ने सुझाव दिया कि यह हमला बर्लिन में सऊदी शरणार्थियों से निपटने के तरीकों से संदिग्ध के असंतोष के कारण हुआ हो सकता है।