नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव करने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की मोदी सरकार की 'व्यवस्थित साजिश' का हिस्सा है।
खरगे ने यह भी कहा कि मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग की निष्ठा को जानबूझकर खत्म करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए सीसीटीवी कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज तथा उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोक दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके।
चुनाव आयोगकी सिफारिश के आधार पर, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया, ताकि सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले 'कागजात' या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित किया जा सके।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खरगे ने कहा, 'चुनाव संचालन नियमों में मोदी सरकार का संशोधन भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को नष्ट करने की उसकी व्यवस्थित साजिश में एक और हमला है।'
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'इससे पहले, उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन पैनल से हटा दिया था, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करता है, और अब वे उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को रोकने में लगे हैं।'
खरगे ने कहा कि जब भी कांग्रेस पार्टी ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी विशिष्ट चुनाव अनियमितताओं के बारे में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, तो चुनाव आयोग ने तिरस्कारपूर्ण लहजे में जवाब दिया है और कुछ गंभीर शिकायतों को स्वीकार भी नहीं किया है।