भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप प्रेम, स्नेह, आनंद का प्रतीक है: कथावाचक कमल सूंठवाल

कई मधुर भजन गाकर श्रद्धालुओं को वात्सल्य प्रेम से सराबोर कर दिया

चेन्नई के अनेक इलाकों से भक्तगण कथा का श्रवण कर पुण्यलाभ ले रहे हैं

चेन्नई/दक्षिण भारत। शहर के अन्नानगर स्थित एसआरकेके अग्रवाल सभा भवन में अनुपम ज्वेलर्स के अग्रवाल बंधुओं द्वारा अपने माता-पिता की स्मृति में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक कमल सूंठवाल ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान के जन्म के उपरांत नंदबाबा के घर में खुशियां छाई हुई थी, सभी गोकुलवासी बहुत ही प्रसन्न होकर हर्षोल्लास के साथ भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मना रहे थे। नंद बाबा तो इस अवसर पर फूले नहीं समा रहे थे, गोपियां भी सिर पर फूलों की टोकरी रख कर रास्ते में फूल बिछा कर खुशियां मना रही थी, सभी बहुत प्रसन्न थे। भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव महीनों महीनों तक चला। उनके दर्शन हेतु बड़ी संख्या में लोग गोकुल आ रहे
थे। 

व्यासाचार्य ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के बड़े होने पर उनकी सखा मंडली बन गई। अपनी शाखा मंडली के साथ वह गोपियों के घर जाकर माखन चुराकर खाते थे। उनके नटखट स्वरूप को देखकर गोपियां उनसे अप्रतिम स्नेह करती थीं। उन्होंने कहा कि भगवान का बाल स्वरूप प्रेम, स्नेह, आनंद का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि लीला और क्रिया में अंतर है, दूसरों को सुखी रखने की इच्छा लीला कहलाती है। भगवान श्री कृष्ण ने यही लीला की थी जिससे सभी गोकुलवासी प्रसन्न एवं सुखी रहे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी का आशय सभी का मन चुराने से है। भगवान श्री कृष्ण ने लोगों के मन की चोरी की थी। 

कथा वाचक ने इस अवसर पर कहा कि जब भगवान इंद्र ने कुपित होकर गोकुल पर भारी वर्षा की, तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी अंगुली पर उठाकर समस्त गोकुलवासियों की रक्षा की एवं इंद्र के घमंड को चकनाचूर किया। इसी प्रकार उन्होंने राक्षसी पूतना का जहर समान दूध का पान कर उसका उद्धार किया। 

उन्होंने प्रसंगवश कई मधुर भजन गाकर श्रद्धालुओं को वात्सल्य प्रेम से सराबोर कर दिया। कथा में चेन्नई के अनेक इलाकों से भक्तगण पधार कर कथा का श्रवण कर पुण्यलाभ ले रहे हैं। कथा आयोजक अग्रवाल परिवार के बाबूलाल केडिया, गिरिराज अग्रवाल, सीताराम गोयल सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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