रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुनकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु

विवाह प्रसंग को झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया

प्रभु के नाम का संकीर्तन करते हुए जीवन यापन करना चाहिए

चेन्नई/दक्षिण भारत। शहर के अन्ना नगर स्थित एसआरकेके अग्रवाल सभा भवन में अनुपम ज्वेलर्स के अग्रवाल बंधुओं द्वारा अपने स्वर्गीय माता-पिता प्रह्लाद राय अग्रवाल एवं माता शांति देवी अग्रवाल की पुण्यस्मृति में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यासाचार्य कमल सूंठवाल ने उद्धव एवं रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि विवाह रूपी व्यवस्था मनुष्य के कामवासना को समाप्त करने हेतु बनाई गई है। विवाह के माध्यम से गृहस्थ जीवन में संयमित रहते हुए प्रभु के नाम का संकीर्तन करते हुए जीवन यापन करना चाहिए।

उन्होंने कहा की पत्नी के लिए पति ही परमेश्वर है एवं पति के लिए पत्नी ही धर्म है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी का विवाह कोई साधारण विवाह नहीं था। यह परमात्मा का विवाह था। परमात्मा प्रेम से मिलता है। रुक्मिणी मन से भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी परंतु रुक्मिणी का भाई रुक्मिणी का विवाह जबरन शिशुपाल के साथ करना चाहता था। 

रुक्मिणी कोई साधारण स्त्री नहीं थी। वह तो साक्षात लक्ष्मी का अवतार थी। उन्हें जब पता चला कि उनका भाई उनका विवाह जबरन शिशुपाल से करना चाहता है तब रुक्मिणी ने एक ब्राह्मण के माध्यम से परमात्मा श्रीकृष्ण के पास संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं जन्म-जन्मांतर से आपके श्रीचरणों की दासी हूं। आप मुझ पर तो कृपा कर मुझे अपने चरणों में आश्रय देने की कृपा करें। 

जब यह संदेश भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त हुआ उन्होंने ब्राह्मण को सम्मान सहित विदाकर स्वयं कुंडलपुर के लिए निकल पड़े रुक्मिणी से विवाह करने। 

इस अवसर पर कृष्ण एवं रुक्मिणी के विवाह प्रसंग को झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। कथावाचक के सुमधुर भजनों पर भक्त महिलाओं द्वारा नृत्य किया गया। कथा में चेन्नई के अनेक इलाकों से भक्तगण पधार कर भक्तिमय वातावरण में कथा का श्रवण किया। कथा आयोजक अग्रवाल परिवार के बाबूलाल केडिया, गिरिराज अग्रवाल, सीताराम गोयल, सीताराम झुनझुनवाला, प्रदीप जालान सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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