द्वारका दास गोवर्धन दास वैष्णव महाविद्यालय में मनाया गया पोंगल का त्योहार

मंदिर में विराजमान सभी देवी-देवताओं का श्रृंगार किया गया

सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया

चेन्नई/दक्षिण भारत। अरुम्बाक्कम में स्थित द्वारका दास गोवर्धन दास वैष्णव महाविद्यालय में 10 जनवरी को कॉलेज प्रांगण में स्थित मंदिर में विधिवत गौ पूजा एवं अर्चना के साथ पोंगल त्योहार की शुरुआत हुई। 

इस अवसर पर मंदिर में विराजमान सभी देवी-देवताओं का श्रृंगार किया गया। इसके पश्चात मंदिर के सामने ही पारंपरिक तरीके से पोंगल फ़ेस्ट का आयोजन किया गया। 15 से भी अधिक चूल्हों पर पारंपरिक तरीके से टीमों ने पोंगल बनाया। 

महाविद्यालय के सचिव अशोक कुमार मूँधड़ा एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस सन्तोष बाबू स्वयं सुबह से उपस्थित रहकर पूजा एवं पोंगल के कार्यक्रम को निर्देशित किए। पोंगल फ़ेस्ट के संयोजक डॉ. पी मुरूगन ने अपनी टीम के साथ सभी प्रतिभागियों को सभी सामान एवं लकड़ी आदि अन्य सारी चीजें मुहैया करवाई। 70 से अधिक टीमों ने विभिन्न तरीके से रंगोली बनाई जिसमें तीन विजेताओं को नगद राशि से पुरस्कृत भी किया गया।

इस वर्ष कॉलेज ने पारंपरिक तरीके से गाँव की झाँकी को प्रस्तुत करते हुए मॉडल गाँव प्रतियोगिता का भी आयोजन किया। शहरी विद्यार्थियों को तमिल माटी से जोड़ने के लिए धान की रोपाई का भी आयोजन किया गया। आँखों पर पट्टी बांधकर मटकी फोड़ने से लेकर पारंपरिक नृत्य, लाठी का खेल और अनेक आयोजन किए गए और सभी विजेताओं को नगद राशि के द्वारा सम्मानित किया गया। सभी प्रतियोगिताओं में बाहर से आए निर्णायकों का भी प्राचार्य ने सम्मान किया।

इस अवसर पर कॉलेज में काम करने वाले सभी सफाई कर्मचारियों, सुरक्षा गार्ड और जरूरतमन्द लोगों को सचिव और प्राचार्य के द्वारा पोंगल किट वितरित की गई, जिसमें पोंगल त्योहार मनाने के सभी समान और गन्ना भी दिया गया। 

प्राचार्य डॉ. सन्तोष बाबू ने कहा की वैष्णव कॉलेज की यह परंपरा रही है कि हम सभी त्योहारों को धूमधाम से मनाते हैं जिससे आने वाली पीढ़ी अपने संस्कारों से जुड़ी रहे। पोंगल तमिलनाडु का सबसे बड़ा त्योहार है और इसे हमे पारंपरिक तरीके से मनाना चाहिए। 

कॉलेज के सचिव अशोक कुमार मूंधड़ा ने भी सभी को पोंगल पर्व की शुभकामनाएं दी। उन्होंने इतने अच्छे आयोजन के लिए सभी को बधाई दी और सभी विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक पी मुरुगन और उनकी टीम, डॉ. उमापति एवं अन्य शिक्षकों और विद्यार्थियों का सहयोग रहा।

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