सच्ची गुरु भक्ति से ही जीवन सार्थक बनता है: डॉ. सुयशनिधि

पार्श्वचंद्र महाराज का 76वां जन्म दिवस 2-2 सामायिक के साथ मनाया गया

'गुरु वह प्रकाश है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है'

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। जयगच्छीय जैन संत डॉ. पदमचंद्रजी की सुशिष्याएं जैन समणी डॉ. सुयशनिधिजी एवं डॉ. सुयोगनिधिजी के सान्निध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, श्रीरामपुरम के तत्वावधान में मरुधर केसरी मिश्रीमल म.सा. की 41वीं पुण्यतिथि एवं जयगच्छाधिपति आचार्य प्रवर पार्श्वचंद्र महाराज साहब का 76वां जन्म दिवस 2-2 सामायिक के साथ मनाया गया। 

धर्मसभा को संबोधित करते हुए समणी डॉ. सुयशनिधिजी ने कहा कि गुरु वह प्रकाश है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है और हमें ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु को हमारे जीवन में उस दीपक के समान माना गया है, जो हमें सही राह दिखाता है। गुरु भक्ति का अर्थ है अपने गुरु के प्रति श्रद्धा, समर्पण और आस्था रखना। यह केवल बाहरी सम्मान नहीं है, बल्कि गुरु के उपदेशों का पालन करना, उनके मार्गदर्शन में रहकर अपने जीवन को शुद्ध बनाना ही सच्ची गुरु भक्ति है। 

डॉ. समणी ने कहा कि जीवन में यदि गुणों को अपनाना आ गया तो वह साधक उत्तरोत्तर वृद्धि करता ही जाता है। इसीलिए सबसे आवश्यक बात है कि वह निंदा विकथा से दूर रहें। 

समणी डॉ. सुयशनिधिजी की प्रेरणा से अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने किसी की भी निंदा करने का त्याग किया। गुरुओं की आशातना से बचने का संकल्प करते हुए सच्ची गुरु भक्ति का परिचय दिया।

शांतिलाल खिवसरा ने अपने विचार व्यक्त किए। शांता धोका ने भजन द्वारा गुरु भक्ति गीत प्रस्तुत किया। जेपीपी जैन महिला फाउंडेशन, एलएन पुरम द्वारा आचार्यश्री पार्श्वचंद्रजी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में 500 से अधिक लोगों के लिए अन्नदान किया।

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