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केरल यूजीसी नियमों के मसौदे के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशेगा: मंत्री

20 फरवरी को तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन होगा

केरल यूजीसी नियमों के मसौदे के खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशेगा: मंत्री
Photo: drrbindhu FB Page

तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। केरल की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदु ने गुरुवार को कहा कि राज्य, केंद्र द्वारा प्रस्तावित यूजीसी नियमों के मसौदे के खिलाफ उपलब्ध कानूनी विकल्पों पर विचार करेगा।

पीटीआई की​ रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विनियम-2025 के मसौदे के संबंध में माकपा नेता एमवी गोविंदन विधायक द्वारा उठाए गए प्रश्न का जवाब देते हुए बिंदु ने कहा कि यूजीसी उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए केवल अल्प धनराशि आवंटित करता है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए मसौदा नियमों के खिलाफ कानूनी लड़ाई की संभावना तलाशेगी।

उन्होंने कहा, 'उच्च शिक्षा विभाग मसौदे के विरोध में 20 फरवरी को तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन आयोजित करेगा। इसमें अन्य राज्यों के शिक्षा मंत्री भी भाग लेंगे।'

बिंदु ने बताया कि केरल विधानसभा ने 21 जनवरी को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें केंद्र से यूजीसी नियम-2025 के मसौदे को वापस लेने और राज्य सरकारों और अकादमिक विशेषज्ञों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद ही संशोधित दिशा-निर्देश पेश करने का आग्रह किया गया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद प्रस्ताव को केंद्र के पास भेज दिया गया।

उन्होंने आगे बताया कि सरकार ने मसौदा नियमों का विश्लेषण करने के लिए अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने प्रारंभिक अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं।

उन्होंने कहा, 'इसके आधार पर राज्य सरकार ने 3 फरवरी को केंद्र सरकार और यूजीसी को अपना विरोध जताते हुए मसौदा वापस लेने की मांग की।'

उन्होंने आरोप लगाया कि यूजीसी वर्तमान में उन उद्देश्यों के विपरीत काम कर रहा है, जिनके लिए इसकी स्थापना की गई थी।

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