हिरियूर/दक्षिण भारत। वाणी विलास सागर बांध के समीप विश्राम स्थल पर गुरुवार काे भक्तजनाें काे मार्गदर्शन देते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि जाति, वर्ग, पंथ और संप्रदायाें के आधार पर भारतीय समाज का बहुत अहित हुआ है। हजाराें वर्षाें का इतिहास साक्षी है कि आपसी विवादाें से किसी काे काेई लाभ नहीं हुआ। जाे जीतते हैं, वे भी पछताते हैं और जाे हारते हैं, वे भी बहुत गवांते हैं, इसलिए विवादाें के परिणामाें का गहन विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि हर समाज और धर्म में अनेक वर्ग-भेद हाेते हैं। सभी की मानसिकता, निर्णयक्षमता और कार्यशैली भी भिन्न-भिन्न हाेती हैं। इसलिए समाज या धर्म का संचालन करना कभी सरल नहीं हाेता। वर्तमान युगीन सच्चाई ताे यह है कि मनमानी पूर्वक एक परिवार का संचालन भी मुश्किल हाेता है। ऐसी स्थिति में मनचाहे ढंग से समाज और धर्म काे चलाना असंभव है।
आधुनिक युग में जगह-जगह सामाजिक विवाद और विघटन देखने काे मिल रहे हैं। जहां देखाे वहां, आपसी ईर्ष्या और अहं की लड़ाई में समाज का भारी नुकसान हाे रहा है। युवावर्ग इन विवादाें काे देखकर समाज की मुख्य धारा से कटता जा रहा है। हजाराें-लाखाें युवाओं का सामाजिक-धार्मिक नेतृत्व में विेशास नहीं बचा है। दाे की लड़ाई में तीसरा काेई फायदा उठा रहा है। आंतरिक विवादाें के बीच समाज की उन्नति का मार्ग अवरुद्ध हाे गया है।
यह सब समाज व धर्म के नायकाें की असक्षमता और कमजाेरी काे दर्शाता है। नायक हमेशा स्वच्छ, निष्पक्ष, समर्पित, दूरदर्शी, स्पष्ट और मझबूत हाेने चाहिए। उन पर ही समाज व धर्म की शक्ति, उन्नति और सुरक्षा निर्भर करती हैं। जिनका नेतृत्व कमजाेर हैं ताे मानकर चलाे, उनका भविष्य भी संदिग्ध है।
इस अवसर पर दावणगेरे, हिरियूर, चलकेरे, हाेसदुर्गा और बेंगलूरु के श्रद्धालुजन उपस्थित थे। दावणगेरे जैन संघ के पदाधिकारी विशेष रूप से अपने यहां जैनाचार्य के लंबे प्रवास और कार्यक्रमाें का निवेदन करने हेतु उपस्थित थे। हाेसदुर्गा व हिरियूर के पुलिस अधिकारियाें ने भी जैनाचार्य के दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किए। आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी व गणि पद्मविमलसागरजी शुक्रवार काे प्रातः हिरियूर पहुंचेंगे।