इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान ने हाल में बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी के विद्रोहियों द्वारा अशांत प्रांत में ट्रेन अपहरण की घटना में अपनी धरती के इस्तेमाल को लेकर अफगानिस्तान के समक्ष औपचारिक रूप से कड़ा विरोध दर्ज कराया है। इस घटना में 21 नागरिक और चार सैनिक मारे गए थे।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, विरोध दर्ज कराने के लिए सोमवार को एक वरिष्ठ अफगान राजनयिक को विदेश कार्यालय में बुलाया गया था। हालांकि, अफगान राजनयिक को बुलाने के बारे में विदेश कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।
11 मार्च को बोलन दर्रे पर आतंकवादियों ने जाफ़र एक्सप्रेस पर हमला किया और उसे हाईजैक कर लिया था, जिसमें 400 से ज़्यादा यात्री 30 घंटे तक बंधक बने रहे। यह ट्रेन क्वेटा से पेशावर जा रही थी।
वायुसेना और विशिष्ट सैन्य कमांडो के सहयोग से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 350 से अधिक यात्रियों को सफलतापूर्वक बचाया था।
हालांकि, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ऑपरेशन शुरू होने से पहले आतंकवादियों ने 25 यात्रियों की हत्या कर दी थी। ऑपरेशन के दौरान सभी 33 हमलावर मारे गए।
हमले के बाद पाकिस्तान ने कहा कि उसे ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि हमलावर अफ़गानिस्तान में अपने आकाओं के साथ लगातार संपर्क में थे। इसके बाद एफ़ओ ने तालिबान सरकार से अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने में सहायता करने का आग्रह किया।
सूत्रों के अनुसार, सोमवार की बैठक के दौरान अफगान राजनयिक को भी यही संदेश दिया गया।
हालांकि, अफगान तालिबान ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बलोच आतंकवादी समूह अफगान क्षेत्र से काम नहीं कर रहे हैं और उनका काबुल से कोई संबंध नहीं है।