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धर्म आधारित आरक्षण संविधान का उल्लंघन है: आरएसएस

'अदालतों ने ऐसे कोटे के प्रावधानों को खारिज किया है'

धर्म आधारित आरक्षण संविधान का उल्लंघन है: आरएसएस
Photo: RSSOrg FB Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर चल रही बहस के बीच, आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को कहा कि संविधान धर्म आधारित कोटा की अनुमति नहीं देता है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आरक्षण हमारे संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर के खिलाफ हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के समापन के दिन यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए होसबोले ने कहा, 'बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण स्वीकार नहीं किया गया है। ऐसा करने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे संविधान के निर्माता के खिलाफ जा रहा है।'

उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र द्वारा मुसलमानों के लिए धर्म-आधारित आरक्षण लागू करने के पिछले प्रयासों को उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

होसबोले ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतों ने ऐसे कोटे के प्रावधानों को खारिज किया है।

17वीं सदी के मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर महाराष्ट्र में उठे विवाद के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में होसबोले ने कहा कि औरंगजेब को प्रतीक बनाया गया, न कि उसके भाई दारा शिकोह को, जो सामाजिक सद्भाव में विश्वास करता था। वरिष्ठ आरएसएस नेता ने कहा कि जो लोग भारत के मूल्यों के खिलाफ गए, उन्हें प्रतीक बना दिया गया।

आरएसएस नेता ने दावा किया कि 'आक्रमणकारी मानसिकता' वाले लोग भारत के लिए ख़तरा हैं। उन्होंने कहा, 'हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए जो भारतीय लोकाचार के साथ हैं।'

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