बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वे कित्तूर की पूर्व रियासत की रानी कित्तूर रानी चेन्नम्मा की समाधि को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत 'राष्ट्रीय महत्व का स्मारक' घोषित करें। कित्तूर रानी चेन्नम्मा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया था।
बेलगावी जिले के बैलाहोंगाला तालुका में स्थित समाधि के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने मोदी को लिखे पत्र में कहा कि रानी चेन्नम्मा का भारत के इतिहास में अद्वितीय स्थान है, क्योंकि वे औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व करने वाली पहली महिलाओं में से एक थीं।
उन्होंने कहा कि उनकी वीरता और अदम्य साहस देशभर की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
पत्र में सिद्दरामय्या ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिष्ठित महिला की समाधि सिर्फ एक विश्राम स्थल नहीं है, बल्कि एक पवित्र स्थल है जो भारत के स्वतंत्रता संघर्ष की अमर भावना का प्रतीक है।
उन्होंने लिखा, 'यह साहस और बलिदान का प्रतीक है, जो उस महिला के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, जिसने साल 1824 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की ताकत को चुनौती दी थी।'
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत इस स्थल को राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण स्मारक के रूप में मान्यता देना उनकी विरासत को संरक्षित करने तथा राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को सम्मानित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
सिद्दरामय्या ने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर दिलाया कि अपने विशाल ऐतिहासिक महत्त्व के बावजूद, इस स्थल को अभी भी उचित संरक्षण और विकास की आवश्यकता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की मान्यता से समाधि की अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने में मदद मिलेगी तथा इसे उपेक्षा और क्षरण से बचाया जा सकेगा।