नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केके बिरला फाउंडेशन द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान प्रख्यात संस्कृत विद्वान साधु भद्रेशदास को उनकी साहित्यिक कृति 'स्वामीनारायण सिद्धांत सुधा' के लिए दिया जाएगा। इस संबंध में न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में हुई 'चयन परिषद्' की बैठक में फैसला लिया गया।
बता दें कि साधु भद्रेशदास अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्कृत विद्वान और बीएपीएस के संन्यासी हैं। बारह दिसंबर, 1966 को नांदेड़ में जन्मे भद्रेशदास एमए, पीएचडी, डीलिट तथा आईआईटी खड़गपुर द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद उपाधि) से विभूषित हैं। भारतीय दर्शन में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।
उनकी विद्वता के लिए उन्हें 'महामहोपाध्याय', 'भाष्य-रत्नाकर' जैसी प्रतिष्ठित उपाधियों से भी अलंकृत किया गया है। इसके अलावा, वे भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें थाईलैंड की सिल्पाकोर्न यूनिवर्सिटी ने 'वेदांत मार्तंड पुरस्कार' से सम्मानित किया है। वे वर्तमान में बीएपीएस स्वामीनारायण शोध संस्थान के अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
साधु भद्रेशदास की कृति 'स्वामीनारायण सिद्धांत सुधा' प्रस्थानत्रयी पर आधारित है। यह अक्षर पुरुषोत्तम दर्शन की संपूर्ण दार्शनिक दृष्टि को सरल, तर्कसंगत और गहन रूप से प्रस्तुत करती है। इस ग्रंथ के अध्ययन से संस्कृत भाषा की विश्वजयी सामर्थ्य को समझा जा सकता है।
'सरस्वती सम्मान' की शुरुआत वर्ष 1991 में की गई थी। इसके तहत 15 लाख रुपए की राशि के साथ प्रशस्ति-पत्र और प्रतीक चिह्न भेंट किया जाता है।