प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम की ताज़ा कड़ी में समय के सदुपयोग के लिए जो सुझाव दिए, वे अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इस समय बच्चों की परीक्षाएं हो चुकी हैं। कुछ दिनों बाद गर्मी की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी। बच्चों को उनका बेसब्री से इंतजार रहता है। अगर उस अवधि में बच्चों को कोई खास कौशल सिखा दिया जाए तो वह उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। प्राय: गर्मी की छुट्टियों को लेकर उत्साह हफ्तेभर ही रहता है। अगर उसके बाद करने के लिए कोई 'काम' न हो तो ऊब महसूस होने लगती है। परिवार में माता-पिता और बड़ों को चाहिए कि वे छुट्टियों की संपूर्ण अवधि की पहले ही योजना बना लें, जिससे बच्चों को कुछ अच्छा सीखने को मिले और उनके व्यक्तित्व का विकास हो। ऐसा न हो कि वे दिनभर मोबाइल फोन और टीवी में ही लगे रहें। गर्मी की छुट्टियों के कुछ आकर्षण होते हैं- कहीं घूमने जाना, अपने गांव या ननिहाल चले जाना, करीबी रिश्तेदारों से मिलना, स्वादिष्ट पकवान बनाना और खाना। प्राय: कई बच्चे छुट्टियों में किताबों की ओर मुड़कर भी नहीं देखते। पढ़ाई से पूरी तरह दूरी बना लेना उचित नहीं है। यह आदत उस समय मुश्किलें खड़ी करती है, जब अगली कक्षा की पढ़ाई शुरू करते हैं। ऐसा देखने को मिलता है कि वे बच्चे पिछली कक्षा में पढ़ी गईं कई बातें याद नहीं रख पाते। उनकी लिखावट बिगड़ जाती है। छुट्टियों के लिए नियम बना लें कि रोज़ाना आधा या एक घंटा कोई रोचक किताब पढ़ेंगे। साथ ही, हफ्ते में दो या तीन दिन कुछ-न-कुछ लिखेंगे। इससे भविष्य में परेशानी नहीं होगी।
गर्मी का मौसम आते ही पेयजल संकट की खबरें खूब आने लगती हैं। कहीं मटके फोड़कर प्रदर्शन किए जाते हैं, कहीं लोग शिकायत करते हैं कि जमीन में पानी बहुत नीचे चला गया। इसके बाद जैसे ही मानसून आता है, नालियां भर जाती हैं, सड़कें दरिया बन जाती हैं। ऐसे हालात पैदा न हों, इसके लिए हमें पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिए। सबसे पहले तो अपने घरों की छतों की सफाई करें। ग़ैर-ज़रूरी चीजें, कचरा और कबाड़ हटा दें। बाजार में ऐसे पाइप बहुत आसानी से मिल जाते हैं, जिन्हें छतों के नालों से जोड़कर भविष्य में वर्षाजल को इकट्ठा किया जा सकता है। यही नहीं, सोशल मीडिया पर ऐसे हजारों वीडियो मौजूद हैं, जिन्हें देखकर अपने घर की दीवारों और छतों पर सब्जियां उगाई जा सकती हैं। अपनी इस 'उपलब्धि' की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से अन्य लोगों को प्रेरणा मिलेगी। अपने घर के साथ आस-पास के इलाके का ध्यान रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। छुट्टियों में अपने दोस्तों के साथ मिलकर मोहल्ले में सफाई अभियान चलाया जा सकता है, पुराने जलस्रोतों का कायाकल्प किया जा सकता है। ऐसे अभियानों से बड़े और अनुभवी लोगों को जरूर जोड़ना चाहिए। उनके मार्गदर्शन में काम करेंगे तो बेहतर नतीजे मिलेंगे। कर्नाटक के गडग जिले के दो गांवों की झीलें पूरी तरह सूख गई थीं। वहां पशुओं के पीने के लिए पानी नहीं बचा था। ग्रामीणों ने उन झीलों की सफाई कर उन्हें 'पुनर्जीवित' कर दिया। इन ग्रामीणों ने साबित कर दिया कि अगर हम ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने इनकी सराहना की है। गर्मियों में बाजार में बिकने वाले रसायनयुक्त शीतल पेय की ओर लोगों का रुझान बढ़ जाता है। इस बार संकल्प लें कि ऐसे हानिकारक पदार्थों के बजाय हमारे परंपरागत पेय को बढ़ावा देंगे। नींबू का पानी, पुदीने का शर्बत, गुड़ का शर्बत, सत्तू, छाछ, लस्सी आदि सेहत के लिए वरदान की तरह हैं। अगर इन्हें अपने खानपान में शामिल करेंगे तो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। छुट्टियों का फायदा सेहत और अर्थव्यवस्था, दोनों को जरूर मिलना चाहिए।