नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को संयुक्त संसदीय समिति द्वारा प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को विचार और पारित करने के लिए लोकसभा में पेश किया।
विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सुधार करना, प्रौद्योगिकी आधारित प्रबंधन लागू करना, जटिलताओं का समाधान करना तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
विधेयक पेश करते हुए रिजिजू ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की परामर्श प्रक्रिया भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में किसी संसदीय पैनल द्वारा की गई अब तक की सबसे बड़ी प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा कि जेपीसी को भौतिक और ऑनलाइन प्रारूपों में 97.27 लाख से अधिक याचिकाएं, ज्ञापन प्राप्त हुए। जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले उनमें से प्रत्येक का अध्ययन किया।
मंत्री ने कहा कि 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्डों के अलावा 284 प्रतिनिधिमंडलों ने विधेयक पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
उन्होंने कहा कि कानूनविदों, धर्मार्थ संगठनों, शिक्षाविदों और धार्मिक नेताओं सहित अन्य ने भी अपनी राय प्रस्तुत की है।
रिजिजू ने विपक्ष के शोरगुल के बीच कहा, 'सरकार किसी भी धार्मिक संस्था में हस्तक्षेप नहीं करने जा रही है। यूपीए सरकार द्वारा वक्फ कानून में किए गए बदलावों ने इसे अन्य कानूनों पर हावी कर दिया है, इसलिए नए संशोधनों की आवश्यकता थी।'
रिजिजू ने विपक्ष से कहा, 'आपने उन मुद्दों पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, जो वक्फ विधेयक का हिस्सा नहीं हैं।'