बेंगलूरु/दक्षिण भारत। वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में यहां गोड़वाड़ भवन में उपाध्यायश्री रवींद्रमुनिजी के मंगलाचरण से धर्मसभा की शुरुआत हुई। इस अवसर पर सलाहकारश्री रमणीकमुनिजी ने अपने प्रवचन में कहा कि आने वाले पर्युषण के 8 दिन हम सब की परीक्षा के दिन हैं। चातुर्मास के गत 42 दिनों में कितना सुना, आगमों का स्वाध्याय करते हुए कितना समझा, प्रतिदिन सामायिक का फल कितना मिला या नहीं यानी सांसों का हिसाब किताब देने का वक्त आया है।
उन्होंने कहा, पर्व—त्यौहार हर साल आते हैं, आकर चले जाते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है, संतों व स्वाध्याय के संदेशों को जीवन में उतारना। चारों तरफ प्रतिकूलता हो, वातावरण व्यक्ति के खिलाफ हो, इसके बावजूद भी चेहरे पर मुस्कान रहे तो यह असली चमत्कार ही कहलाता है। यह चमत्कार ही धर्म है।
उन्होंने कहा कि चार माह के चातुर्मास में यह धर्म परिपक्व होता है। धर्मात्मा होने का संकल्प भी इसी दौरान जागता है। उन्होंने कहा कि धन कमाने वाला अलग-अलग तरीके धन कमाने के ढूंढ लेता है, इसी प्रकार धर्म करने के भी अलग अलग तरीके व्यक्ति कर सकता है।
रमणीकमुनिजी ने कहा कि भगवान तो एक है लेकिन उस तक पहुंचने के अनेक रास्ते हैं। भगवान महावीर का अनेकांतवाद इसे सिद्ध करता है, यह संकल्प भी जगाना जरूरी है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से जीवन में रूपांतरण आएगा। धर्म ध्यान करने वाले लोग अपने स्वाभाविक नजरिए से सकारात्मक रहते हुए सभी को सहजता से देखते हैं।

उन्होंने कहा कि धर्म की अनुभूति बहुत मुश्किल है यानी दुनिया को दिखाने के लिए व्यक्ति चेहरा तो साफ रखता है लेकिन दिल साफ नहीं रखता है। चेहरे को साफ रखने के लिए, चमकाने के लिए बा़जार में अनेक सौंदर्य प्रसाधन वह इस्तेमाल करता है। चमड़ी के चेहरे को चमड़ी की आंखें ही देखती हैं, दिल तो परमात्मा का है उसे परमात्मा ही देखता है।
श्री अर्हममुनिजी ने गीतिका सुनाई। धर्मसभा में उपप्रवर्तक श्री पारसमुनिजी ने मांगलिक प्रदान किया। चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने संचालन किया। चिकपेट शाखा के सहमंत्री गौतमचंद मुणोत ने बताया कि बुधवार को चौमुखी जाप के लाभार्थी रवीन्द्रकुमार शांतिबाई गदिया का रवींद्रमुनिजी ने जैन दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया।
उन्होंने बताया कि धर्म सभा में आनंद फुलफगर, राजेन्द्र कोठारी, चेन्नई के राजेंद्र बोहरा व ज्ञानचंद बोहरा सहित दिल्ली, नासिक, घोड़नदी सहित शहर के विभिन्न उपनगरीय संघों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।