अमृतसर। दशहरे के दिन भयानक हादसे के बाद अब उस ड्राइवर का बयान आया है जो ट्रेन को चला रहा था। उसे हिरासत में ले लिया गया है। उसने कहा है कि सिग्नल ग्रीन था। उसे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि आगे पटरियों पर इतनी बड़ी तादाद में लोग खड़े हैं। वहीं रेलवे ने भी यह बताया है कि इस हादसे को क्यों नहीं टाला जा सका। उसका कहना है कि दशहरे के मौके पर हो रहे उस कार्यक्रम के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
इस संबंध में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा है कि ड्राइवर ने पटरियों पर लोगों को देख हादसा टालने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। उन्होंने बताया कि ड्राइवर ने ट्रेन की रफ्तार 90 किमी प्रतिघंटा से कम कर 65 किमी प्रति घंटा तक की थी। इसके बावजूद हादसा टाला नहीं जा सका, क्योंकि उस स्थिति में ट्रेन को रोकने के लिए 625 मीटर की दूरी आवश्यक थी।
गौरतलब है कि प्रत्यक्षदर्शियों ने इस बात की शिकायत की थी कि ट्रेन की रफ्तार बहुत ज्यादा थी। अगर ड्राइवर भीड़ को देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगा देता तो ट्रेन पटरियों से उतर जाती और दिवंगत लोगों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा होता।
बताया गया है कि ड्राइवर ने हॉर्न बजाया भी होगा तो पटाखों की गूंज में वह सुनाई नहीं दिया। इसके अलावा हादसे के वक्त लोग रावण दहन देख रहे थे। ऐसे में ट्रेन की ओर उनका ध्यान ही नहीं गया। रेलवे की ओर से कहा गया है कि रावण दहन के लिए उससे कोई अनुमति नहीं ली गई थी। दहन के कारण पटाखों की गूंज के साथ वातावरण में काफी धुआं था। इसके अलावा यह बताया गया है कि उस जगह ट्रेन घुमाव पर थी।
हादसे के बाद लोगों की ज्यादा शिकायत प्रशासन से है। लोगों का कहना है कि स्थानीय अधिकारी इस कदर लापरवाह थे कि उन्होंने यह अंदाजा ही नहीं लगाया कि यहां एकत्रित हुई भीड़ की सुरक्षा के क्या इंतजाम करने हैं। पास ही रेल की पटरियां होने के कारण उन्हें रेलवे को खासतौर पर सूचित करना चाहिए था लेकिन प्रशासन और रेलवे के बीच कोई तालमेल नहीं था और 60 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
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