हिमालय की सर्दी ने चीन को खूब छकाया, कागजी शेर साबित हुए पीएलए के जवान

हिमालय की सर्दी ने चीन को खूब छकाया, कागजी शेर साबित हुए पीएलए के जवान

हिमालय की सर्दी ने चीन को खूब छकाया, कागजी शेर साबित हुए पीएलए के जवान

लद्दाख। फोटो स्रोत: PixaBay

लेह/दक्षिण भारत। पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सेना से भिड़ंत मोल लेकर अपनी किरकिरी कराने वाले चीन के फौजी इस इलाके की सर्दी के सामने ‘कागजी शेर’ ही साबित हुए। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमालय की सर्दी ने चीनी जवानों खूब ठिठुराया। इसलिए यहां चीन को एक साल में 90 प्रतिशत तक जवानों को बदलना पड़ा।

बताया गया कि अपनी खोई हुई साख बचाने के लिए चीन सरकार ने अपने जवानों को इधर तैनात तो कर दिया लेकिन यह फैसला उसे ही भारी पड़ा। चीनी जवान इतनी सर्दी और सख्त भौगोलिक परिस्थितियों के अभ्यस्त नहीं थे।

जब सर्दी के तेवर तीखे होने लगे तो चीनी जवानों की हालत बिगड़ने लगी। नतीजतन चीन को अपने 90 प्रतिशत जवानों को बदलना पड़ा यानी वहां तैनात महज 10 प्रतिशत जवान ही इस काबिल थे कि वे कड़ाके की सर्दी और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बीच तालमेल कायम कर पाए।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने लद्दाख क्षेत्र में लगती एलएसी पर तनाव बढ़ाते हुए अपने 50 हजार जवान तैनात कर दिए थे। इधर, भारत ने भी जवानों की संख्या बढ़ा दी और चीन के जवाब में भारी हथियार ‘लक्ष्य’ की ओर स्थापित कर दिए थे।

फिर जब मौसम ने अपना रंग दिखाना शुरू किया तो चीन का रंग उड़ने लगा। चीनी जवानों को यहां के मौसम में ड्यूटी करना बहुत मुश्किल लग रहा था। यही कारण है कि चीन ने अपने 90 प्रतिशत तक जवान बदल दिए।

बता दें कि भारतीय सेना भी यहां समय-समय पर अपने जवानों को बदलती रहती है, लेकिन यह संख्या कभी भी 90 प्रतिशत तक नहीं होती। रिपोर्ट के अनुसार, भारत द्वारा बदले जाने वाले जवानों की संख्या 40 से 50 प्रतिशत होती है। भारतीय जवान सख्त मौसम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से तालमेल स्थापित करने के अभ्यस्त होते हैं।

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