भक्ति की सुगंध से पर्यावरण बचाने की मुहिम

भक्ति की सुगंध से पर्यावरण बचाने की मुहिम

भक्ति की सुगंध से पर्यावरण बचाने की मुहिम

माया विवेक और मीनल डालमिया

.. राजीव शर्मा ..

हैदराबाद/दक्षिण भारत। मंदिरों में भगवान को अर्पित पूजन सामग्री अगले दिन बदलनी होती है। ऐसे में उपयोग में ली हुई सामग्री का उचित निस्तारण बहुत जरूरी होता है। हैदराबाद निवासी माया विवेक और मीनल डालमिया ने इसका जिस बेहतरीन तरीके से उपयोग किया है, उसने रोजगार की नई संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए हैं।

दोनों महिलाएं एक-दूसरी को वर्षों से जानती हैं। उन्होंने करीब डेढ़ साल पहले ‘होली वेस्ट’ ब्रांड की स्थापना की जिसके जरिए पूजन में इस्तेमाल की जा चुकी सामग्री से अगरबत्ती, धूपबत्ती और खाद बनाई जाती हैं।

एक साक्षात्कार में माया बताती हैं कि इस काम के लिए मंदिरों से ऐसी पूजन सामग्री इकट्ठी की जाती है जो भगवान को चढ़ाई जा चुकी है। जहां माया करीब दो दशकों तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर चुकी हैं, वहीं मीनल के पास फैमिली बिज़नेस का अनुभव है। इस तरह दोनों ने मिलकर इस स्टार्टअप की बुनियाद डाली।

यह विचार आया कैसे? इसके बारे में दोनों बताती हैं कि हमने एक स्टार्टअप के बारे में पढ़ा और यह जानकारी हासिल की कि उपयोग में ली हुई पूजन सामग्री को कैसे रिसायकल किया जाए। इसके बाद उन्होंने अपने शहर में इसे आजमाने की ठानी। तो ऐसे हुई ‘होली वेस्ट’ की शुरुआत।

शुरुआत कहां से की? इसके लिए माया और मीनल ने एक मंदिर से संपर्क किया और भगवान को चढ़ाए गए फूल, मालाएं आदि लेकर आईं। फिर घर पर ही इससे जुड़े प्रयोग किए और जैविक खाद, अगरबत्ती, धूपबत्ती बनाने में सफलता पाई।

उन्होंने दो महिलाओं को काम पर रखा, जिनकी संख्या बढ़कर आठ हो चुकी है। अब तक मंदिरों से अधिक मात्रा में पूजन सामग्री आने लगी। करीब तीन दर्जन से ज्यादा मंदिर उन्हें ऐसी सामग्री देते हैं। चूंकि भगवान को अर्पित किए जाने के अगले दिन जब फूलों समेत पूजन सामग्री बासी हो जाती है तो मंदिरों को इसका उचित निस्तारण करने में भी दिक्कत आती थी।

ऐसे में ‘होली वेस्ट’ ने उन्हें ऐसा विकल्प उपलब्ध कराया जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है। लिहाजा मंदिर के पुजारियों ने इस स्टार्टअप के प्रस्ताव को लेकर सहमति जताई। ‘होली वेस्ट’ अपना विस्तार मंदिरों के अलावा मैरिज गार्डन और उन स्थानों तक कर रहा है जहां फ्लोरल वेस्ट इकट्ठा होता है। अक्सर देखा गया है कि इस्तेमाल में लिए जाने के बाद ये फूल नालियों या कचरे के ढेर में होते हैं।

इन संभावनाओं को देखते हुए ‘होली वेस्ट’ अपने संकल्प को और मजबूत करते हुए रोजगार के साथ पर्यावरण बचाने की मुहिम को आगे बढ़ा रहा है।

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