भारत को अनुसंधान संस्कृति और वैश्विक ज्ञान के शीर्ष पर ले जाने में योगदान दे रहा केआईआईटी: प्रधान

भारत को अनुसंधान संस्कृति और वैश्विक ज्ञान के शीर्ष पर ले जाने में योगदान दे रहा केआईआईटी: प्रधान

भारत को अनुसंधान संस्कृति और वैश्विक ज्ञान के शीर्ष पर ले जाने में योगदान दे रहा केआईआईटी: प्रधान

फोटो स्रोत: केआईआईटी

भुवनेश्वर/दक्षिण भारत। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 14 अगस्त को केआईआईटी डीम्ड विश्वविद्यालय के 17वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि संस्थान गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान की संस्कृति और अनुभवजन्य सटीकता की खोज के साथ देश को वैश्विक ज्ञान के शीर्ष पर ले जाने के लिए प्रभावी रूप से योगदान दे रहा है।

वर्चुअल दीक्षांत समारोह में केआईआईटी के 2020-21 स्नातक बैच के कुल 7,032 विद्यार्थियों ने डिग्री प्राप्त की। कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, विवि ने प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु श्री माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा), ईएनएएम सिक्योरिटीज के सह-संस्थापक वल्लभ भंसाली को डी. लिट की मानद उपाधियां प्रदान की गईं।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने स्नातक विद्यार्थियों से कहा, ‘आपने कई कौशल हासिल किए हैं जो आने वाले वर्षों में मील का पत्थर हासिल करने में मदद करेंगे।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पहले साल के पूरा होने पर अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट सिस्टम और नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम जैसी हालिया पहल भारत में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए प्रेरक का काम करेंगी।

अपने संबोधन में माता अमृतानंदमयीजी ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से विकसित होने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज अपने साथियों के प्रति करुणा है। उन्होंने केआईआईटी और केआईएसएस के संस्थापक प्रो. अच्युत सामंत के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि ‘कलिंगा’ करुणा की भूमि है।

वहीं, वल्लभ भंसाली ने कहा कि कृतज्ञता से बड़ा कोई मानवीय गुण नहीं है। उन्होंने विद्यार्थियों को इसे अपनाने का आह्वान किया।

प्रो. अच्युत सामंत ने अपने संदेश में कहा, ‘कोविड महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद 2021 के बैच ने अपने ज्ञान और लचीलेपन के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है।’ उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सतत विकास, साहित्य, संस्कृति और खेल के क्षेत्र में केआईआईटी के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसने अपने तीन विद्यार्थियों को टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा।

केआईआईटी के चांसलर प्रो. वेद प्रकाश ने कहा, ‘भारत सरकार ने 2019 में केआईआईटी को इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (आईओई) के रूप में चुना है। यह दर्शाता है कि केआईआईटी देश के सबसे प्रमुख विवि में से एक के रूप में उभरा है।’

प्रो-चांसलर प्रो. (डॉ.) सुब्रत कुमार आचार्य ने विद्यार्थियों से कहा, ‘केआईआईटी की अनूठी दृष्टि को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आपकी है। शिक्षा विकास की वाहक है जिससे गरीबी का उन्मूलन किया जा सकता है।’

विवि की रिपोर्ट पेश करते हुए कुलपति (आई/सी) प्रो. सस्मिता सामंत ने बताया कि प्रतिष्ठित टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 ने अपनी इम्पैक्ट रैंकिंग 2021 में विश्व स्तर पर केआईआईटी को 201-300 स्थान दिया है। केआईआईटी ने एसडीजी 4 ‘घटी हुई असमानता’ श्रेणी में विश्व स्तर पर 86वां स्थान हासिल किया है।

रजिस्ट्रार प्रो. जेआर मोहंती धन्यवाद ज्ञापित किया। आयुष कुमार, बासेल नासर और सुधांशु उपाध्याय ने अपने उत्कृष्ट ऑल राउंड और अकादमिक प्रदर्शन के लिए संस्थापक गोल्ड मेडल जीते। इसी तरह 22 विद्यार्थियों को चांसलर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया, जबकि 31 को वाइस चांसलर सिल्वर मेडल से नवाजा गया।

इस अवसर पर नानीबाला मेमोरियल गोल्ड मेडल, श्री कृष्ण चंद्र पांडा मेमोरियल गोल्ड मेडल, पीके बल मेमोरियल गोल्ड मेडल और पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (पीपीएल) गोल्ड मेडल भी प्रदान किए गए। इकसठ शोध विद्वानों को पीएचडी डिग्री दी गई।

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