मेकेदाटू परियोजना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए: सीटी रवि

मेकेदाटू परियोजना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए: सीटी रवि

मेकेदाटू परियोजना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए: सीटी रवि

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सीटी रवि। फोटो स्रोत: ट्विटर अकाउंट।

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जल बंटवारे के संबंध में मेकेदाटू परियोजना को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सीटी रवि ने कहा कि इस समस्या का समाधान मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि मेकेदाटू परियोजना को वास्तविक आधार के रूप में देखा जाना चाहिए, किसी भी दल को इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारा सुचारु रूप से चल सकता है।

यहां भाजपा प्रदेश मुख्यालय ‘जगन्नाथ भवन’ में गुरुवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए डॉ. सीटी रवि ने कहा कि कर्नाटक में अन्य राज्यों से आए 72 प्रतिशत लोग बेंगलूरु में रहते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए मुंबई में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत बताया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि पेयजल के मुद्दे को दो राज्यों के बीच टकराव के रूप में नहीं, वास्तविक आधार के रूप में देखा जाना चाहिए।

डॉ. रवि ने कहा कि पेयजल सभी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि बेंगलूरु में 15 से 16 प्रतिशत लोग तमिलनाडु के हैं। उन्होंने सवाल किया, ‘क्या उन्हें पेयजल उपलब्ध नहीं कराया गया?’ उन्होंने इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने योग्य मामला बताया और कहा कि इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कावेरी जल बंटवारे को लेकर कई कानूनी फैसले हो चुके हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु को अपने हिस्से के फैसले का इस्तेमाल करने में कोई आपत्ति नहीं है। अगर वह फैसला खत्म हो जाता है, तो मुकदमेबाजी होगी। अगर कर्नाटक इस पर निर्णय की योजना बनाता है, तो कोई समस्या नहीं हो सकती है। मैं तमिलनाडु से भी यही कहूंगा।

कैंटीन के नाम पर सवाल
इंदिरा गांधी कैंटीन का नाम बदलने के बारे में एक सवाल के जवाब में डॉ. रवि ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री की साल 1984 में हत्या हुई थी, जबकि इंदिरा गांधी कैंटीन 2017-18 में शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि यह कदम कैंटीन को लेकर इंदिरा गांधी के प्रति कोई प्रेम या सच्ची श्रद्धांजलि नहीं थी बल्कि राजनीतिक हित साधने की कोशिश थी। उन्होंने सवाल किया, साल 1989-1994, 1999-2006, 2013 से 2017 के बीच कांग्रेस की सरकारें रहीं। इसके बावजूद इंदिरा कैंटीन क्यों नहीं खोली गईं?

देश के विकास में भूमिका को लेकर पूछे गए एक सवाल पर डॉ. रवि ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘विकास में सिर्फ नेहरू और इंदिरा गांधी का योगदान था’, यह केवल उनके गुलामों द्वारा ही स्वीकार किया जा सकता है। केवल मूर्ख और गुलाम ही यह स्वीकार करेंगे, लेकिन हम मूर्ख और गुलाम नहीं हैं। उनके नाम पर 217 परियोजनाएं हैं।

इंदिरा कैंटीन का नाम बदलने के अपने सुझाव पर भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस अपने पार्टी कार्यालय में इंदिरा कैंटीन खोल सकती है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रमुख खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम की घोषणा करने की मंशा कांग्रेस द्वारा अपने एटीएम भरने के लिए है, न कि पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति श्रद्धा।

चावल की देवी अन्नपूर्णेश्‍वरी
सीटी रवि ने अपने सुझाव के समर्थन में कहा कि अन्नपूर्णेश्‍वरी कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। चावल की देवी; वह मां है जो अकाल पड़ने पर चावल देती है। इसलिए मैंने अन्नपूर्णेश्वरी का नाम लिया, अगर मैं उससे विजया राजे सिंधिया का नाम जोड़ने को कहूं तो वह राजनीति होगी। गरीबों को अन्न से मतलब है।

उन्होंने कहा कि यह अन्न जनता के टैक्स से दिया जा रहा है। अन्नपूर्णेश्वरी नाम केवल एक सुझाव है। उन्होंने कहा कि इस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर (उसके नेताओं में) इंदिरा गांधी के प्रति सच्चा श्रद्धा होती तो उनकी हत्या होने के तुरंत बाद इंदिरा कैंटीन खोलते। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की हत्या के बहाने हजारों सिखों का नरसंहार हुआ था।

देशहित में सुधार
सीटी रवि ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के फैसले पर कहा कि पूर्व में (पं. नेहरू के समय) कोई गलत फैसला हुआ तो देशहित में उसे सुधारा जाना चाहिए और ठीक किया जाना चाहिए।

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