अंधविश्वास का दलदल

कई नागरिक अंधविश्वासों की चपेट में आकर नुकसान उठा रहे हैं

अंधविश्वास का दलदल

ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए जरूरी है कि जनता को जागरूक किया जाए

विज्ञान और अनुसंधान के इस युग में कई लोगों का अंधविश्वास के दलदल में धंसा होना चिंता का विषय है। हर महीने ऐसी कई खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं, जब अंधविश्वास के कारण किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई या उसे जान गंवानी पड़ी। एक तरफ हमारा देश महासागरों से लेकर अंतरिक्ष तक अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है, वहीं इसी देश के कई नागरिक अंधविश्वासों की चपेट में आकर नुकसान उठा रहे हैं। 

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पंजाब के गुरदासपुर जिले में भूत-प्रेत से छुटकारा दिलाने के नाम पर एक व्यक्ति को इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई! अब आरोपी पादरी और आठ अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो रही है। होनी भी चाहिए, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इसके बाद अंधविश्वासों के नाम पर ऐसी घटनाओं की रोकथाम होगी या नहीं? आज भी भूत-प्रेत, 'ऊपरी हवा' से छुटकारा दिलाने और धन दुगुना-चौगुना करने के नाम पर लोग खूब ठगे जा रहे हैं। 

गुरदासपुर जिले में जिस व्यक्ति की जान गई, उसके बारे में बताया जा रहा है कि उसे दौरे पड़ते थे और वह चिल्लाता रहता था। ऐसे में उसे चिकित्सा सहायता की जरूरत थी, न कि मार-पिटाई की। हैरानी की बात है कि भारत, जहां आयुर्वेद के रूप में महान आयुर्विज्ञान मौजूद है, वहां लोग इस किस्म के अंधविश्वासों में फंस जाते हैं! भूत-प्रेत भगाने के नाम पर कुछ लोगों की खूब चांदी हो रही है। वे किसी शारीरिक या मानसिक समस्या से पीड़ित व्यक्ति को कथित निजात दिलाने के लिए मनमानी कीमत वसूलते हैं। 

सोशल मीडिया से लेकर पत्र-पत्रिकाओं तक में उनके विज्ञापन छपते हैं। उनमें से कई तो वीडियो बनाकर अपने 'अनुभव' सुनाते हैं। वे कथित भूत-प्रेत पीड़ितों के जो लक्षण बताते हैं, अगर उन्हें सच मान लें तो अच्छे-भले व्यक्ति को भ्रम हो सकता है कि उस पर कोई संकट आने वाला है।

इन अंधविश्वासों की सूची बहुत लंबी है, लेकिन उनमें से चार-पांच बातों का ही विवेकपूर्वक विश्लेषण करें तो पता लग जाएगा कि यह कोरा ढकोसला है। कई फिल्मों और धारावाहिकों ने भी ऐसे किस्सों को खूब भुनाया है, जिनमें किसी 'पीड़ित' का लाल मिर्च के धुएं से 'इलाज' करते दिखाया जाता है। जब वह व्यक्ति तकलीफ में चीखता-चिल्लाता है तो कहा जाता है कि उसके शरीर से भूत भाग रहा है, जबकि असलियत यह है कि मिर्च का धुआं किसी भी व्यक्ति की चीखें निकलवा सकता है। 

इसी तरह चिमटे से पिटाई, कोड़े या जूते से पिटाई जैसे तरीके भी अंधविश्वास के उदाहरण हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है और उस पर इन चीजों से प्रहार होगा तो उसे आनंद नहीं आएगा, बल्कि वह भी तकलीफ से चिल्लाएगा। 

इसके अलावा अंगुली मरोड़ने, सिर के बाल खींचने, जंजीर से पीटने / बांधने जैसे काम किसी व्यक्ति को समस्या से मुक्त नहीं करते, बल्कि उसके लिए कई समस्याएं पैदा करते हैं। देश में ऐसी घटनाएं होने के कई कारणों में से एक कारण यह भी है कि यहां मानसिक समस्याओं के निदान और समाधान के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। 

अगर किसी को शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित कोई समस्या हो तो उसका चिकित्सक के पास जाना सामान्य बात समझी जाती है। वहीं, मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या होने पर चिकित्सक के पास जाने को अजीब समझा जाता है। ऐसे व्यक्ति के बारे में कई तरह की बातें बढ़ा-चढ़ाकर फैला दी जाती हैं। 

जब समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है तो परिजन को लगता है कि यह तो कोई और ही मामला है। उन्हें टोने-टोटकों में उम्मीद की किरण नजर आने लगती है। अगर वे किसी ऐसे व्यक्ति के चक्कर में फंस गए, जो 'मार-धाड़ से इलाज' करते हुए निजात दिलाने का दावा करता है तो पीड़ित जान भी गंवा सकता है। 

ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए जरूरी है कि जनता को जागरूक किया जाए, अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर की जाएं। जो व्यक्ति अवैज्ञानिक एवं अमानवीय तरीकों से किसी की ज़िंदगी से खिलवाड़ करे, उसे कठोर दंड मिलना चाहिए।

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