धर्म/आस्था
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Read More... जीवन का आनंद कहीं बाहर नहीं, अपितु स्वयं के भीतर है: साध्वीश्री संयमलता
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सिद्धांतों और परंपराओं के आधार पर महावीर जन्म कल्याणक मनाने की आवश्यकता: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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रिश्तों की डोर थामने के लिए विश्वास, प्यार और वाणी में मधुरता जरूरी: साध्वीश्री संयमलता
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मुनिश्री पुलकितकुमार ने युवाओं को आत्मसंयम, नैतिकता और समर्पण का महत्त्व समझाया
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अहिंसा में ही सबकी सुख-शांति और उन्नति का संदेश है: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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धर्म के बिना धरा पर रहना असंभव है: आचार्य विमलसागरसूरी
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सुशासन वह होता है, जिसमें सबके प्रति न्याय की गारंटी हो: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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जीव अपनी प्रवृत्ति द्वारा ही पुण्यशाली बनता है: साध्वीश्री पावनप्रभा
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कर्मसत्ता से कोई नहीं बच सकता, जो करेंगे, वो ही हम भरेंगे: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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समाज को बांटने की नहीं, जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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आध्यात्मिक साधना के लिए आवश्यक सोपान है श्रद्धा और समर्पण: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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सामाजिक क्रांतिकारी बदलाव से ही नई पीढ़ी का भविष्य होगा उज्ज्वल: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
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