दहशत का खेल

दहशत का खेल

हमारे सुरक्षा बलों ने देश की सुरक्षा के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी हैं, जिसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है


नौशेरा सेक्टर में पकड़े गए आतंकवादी तबरक हुसैन ने जो खुलासे किए हैं, वे ऐसे नहीं हैं कि उन पर आश्चर्य किया जाए। पाकिस्तानी कर्नल चौधरी यूनुस ने उसे चंद रुपयों का लालच देकर एलओसी पार करने भेज दिया, ताकि वह भारत में आत्मघाती हमला कर सके। वास्तव में पाकिस्तान की ओर से ये हरकतें तो उसके अस्तित्व में आने के साथ ही शुरू हो गई थीं। सन् सैंतालीस से लेकर आज तक पाकिस्तानी घुसपैठिए इधर आकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। उनमें से बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा चुके हैं।

हमारे सुरक्षा बलों ने देश की सुरक्षा के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी हैं, जिसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है, लेकिन भारत सरकार को देखना होगा कि उसकी ओर से तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकवाद थमने का नाम क्यों नहीं ले रहा है ... आए दिन आतंकवादी एलओसी पर क्यों आ रहे हैं? एलओसी पर हमारी पूरी कार्रवाई रक्षात्मक नज़र आती है। हम ऐसे आतंकवादियों को मारते जरूर हैं, लेकिन इससे इस सिलसिले को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक आतंकवादी मरता है, उसके बाद दूसरा आ जाता है।

चूंकि पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई इन आतंकवादियों को सस्ते में तैयार कर लेती हैं। इनका सिर्फ ब्रेनवॉश करना होता है। कुछ हसीन सपने दिखाने होते हैं, लालच देना होता है। उसके बाद ये मरने के लिए खुशी-खुशी तैयार हो जाते हैं। इस तरह चंद हज़ार रुपयों में तैयार हुआ आतंकवादी भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मरने के लिए एलओसी पार करने आ जाता है।

पाकिस्तान की सरकार को इन पर वेतन, पेंशन, मुआवजे आदि का कोई खर्च नहीं करना होता। कुल मिलाकर यह पूरा सौदा बहुत सस्ते में हो जाता है। ये आतंकवादी मारे जाते हैं तो इन्हें पाक में शहीद की तरह पेश किया जाता है। इनकी शान में कसीदे पढ़े जाते हैं। इस तरह इनके परिजन भी खुश रहते हैं। भारत को घटना का यह प्रवाह बदलना होगा। जब तक पाकिस्तान इन सबकी भारी कीमत नहीं चुकाएगा, यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है। इसके लिए उसे पाकिस्तान की फौज पर धावा बोलना होगा। जब तक एक आतंकवादी के बदले पाक के चार-पांच फौजी ढेर नहीं होंगे, उसके हुक्मरानों को कीमत का अहसास ही नहीं होगा।

अभी तक पाकिस्तान अपने आतंकवादियों में छोटा निवेश कर भारी मुनाफा वसूलता रहा है। उसकी फौज उन्हें आगे रखकर खुद सुरक्षित महसूस करती है। भारत को चाहिए कि वह ढाल के रूप में खड़े आतंकवादियों का संहार तो करे ही, पाकिस्तानी फौज पर भी प्रहार करे, पाकिस्तानी हुक्मरानों को उस कीमत का अहसास दिलाए। कंगाली के कगार पर पहुंच चुका पाकिस्तान इतनी बड़ी कीमत बर्दाश्त नहीं कर पाएगा और इससे उसके हालात और ज्यादा बिगड़ जाएंगे। संभवतः ऐसी कठोर कार्रवाई से उसके हुक्मरानों को कुछ समझ आए कि दहशत का यह खेल अब चलने वाला नहीं है।

भारत ने बहुत बर्दाश्त कर लिया है। अगर अब पाकिस्तान की ओर से आतंकी गतिविधियां नहीं रुकीं तो उसके जवानों को जान से हाथ धोना होगा, जिसकी बहुत भारी चोट खजाने पर पड़ेगी। वास्तव में भारत की सहनशीलता से पाकिस्तान के दुस्साहस को बढ़ावा मिला है। भारत मर्यादा में रहा है, जिससे पाकिस्तान को उसकी हरकतों का उचित दंड नहीं मिला है। जिस दिन उसे कठोर दंड मिलना शुरू हो जाएगा, आतंकवाद अपनी अंतिम सांसें लेना शुरू कर देगा।

Google News
Tags:

About The Author

Related Posts

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News