आतंक की नई कोशिश
आतंक की नई कोशिश
बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में हि़ज्बुल का कमांडर ़जाकिर मूसा को बनाया गया जिसने पिछले दिनों हुर्रियत नेताओं को कश्मीर के मूल मुद्दे से भटकने के आरोप लगाए और चेतावनी दी है कि वह हुर्रियत के नेताओं का श्रीनगर के लाल चौक पर सर कलम कर देगा। पिछले तीन वर्षों में जिस तरह से हिज्बुल में जाकिर मूसा का कद ब़डा था उससे लग रहा था कि लगातार घाटी में कम़जोर प़ड रहा हि़ज्बुल के खौफ को बरकरार रखने के लिए जाकिर कोई खतरनाक कदम उठा सकता है परंतु हुर्रियत के खिलाफ दिए गए बयान के बाद उसे पाकिस्तान में स्थित हि़ज्बुल के आकाओं ने बाहर कर दिया। सम्भवता यह भी है कि यह पाकिस्तान की सोची समझी साजिश हो सकती है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हि़ज्बुल के खिलाफ कार्यवाही की मांग लगातार ब़ढ रही है और पाकिस्तान पर अमेरिका का भी दबाव है कि वह हाफिज सईद और सईद सलाहुद्दीन जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करे। हाल ही में एक टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में यह सा़फ हो चुका है कि अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान से आर्थिक समर्थन मिलता है और अब इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी करने जा रही है कि स्टिंग ऑपरेशन में सामने आईं बातों में कितनी सच्चाई है, हालाँकि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और उनके अन्य साथियों के खिलाफ पहले भी कई बार आरोप लग चुके हैं कि उन्हें कश्मीर घाटी में तनाव का माहौल बनाए रखने के लिए सीमा पार से समर्थन मिलता रहता है। केंद्र सरकार कश्मीर से आतंकवाद को मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करती ऩजर आ रही है लेकिन अलगाववादी अपने निजी स्वार्थ के लिए घाटी में अमन का माहौल बनने ही नहीं देना चाहते हैं ऐसे में अगर ़जाकिर मूसा ने अलगाववादियों के खिलाफ क़डे शब्द कहे हैं तो सम्भवता इसके पीछे पाकिस्तान की एक सोची समझी रणनीति हो। पाकिस्तान घाटी में ़जाकिर मूसा के नेतृत्व में एक नए आतंकी संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहा हो सकता है जिस पर फिलहाल कोई अंतराष्ट्रीय दबाव न हो। साथ ही नए संगठन में युवकों को आकर्षित करना आसान होता है और कट्टरवाद के प्रति झुकाव दिखा रहे मूसा ने कश्मीर की आ़जादी से धर्म को जो़डने की भी कोशिश की है। मूसा द्वारा कश्मीर के युवाओं को निकट भविष्य में कट्टरवाद के प्रति आकर्षित करने की कोशिश की जा सकती है। भारत सरकार और जांच एजेंसियों को मूसा के अगले कदम पर पैनी ऩजर तो बनाए रखनी ही होगी लेकिन साथ ही अगर मूसा किसी आतंकी मंसूबे को अंजाम देने की कोशिश करता है तो उसे समय रहते उसे नाकाम करने की भी कोशिश सुरक्षा एजेंसियों को करनी होगी। हम कश्मीर में किसी भी नए आतंकी संगठन को पनपने नहीं दे सकते हैं। जिस तरह के आरोप अलगाववादी नेताओं पर लगे हैं, उसके बाद कश्मीर में उनकी मौजूदगी में अमन की आशा करना भी नादानी होगी और अब तो सरकार को कश्मीर में तनाव को ख़तम करने के लिए क़डे कदम उठाने ही प़डेंगे।