असत्य सूचनाओं के खतरे

चीनी और पाकिस्तानी एजेंसियों की भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स पर नजर रहती है

असत्य सूचनाओं के खतरे

सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस पर ग़लत जानकारी भी ख़ूब प्रसारित हो जाती है

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ऑनलाइन मंचों पर प्रसारित असत्य सूचनाओं के खतरों का उल्लेख कर जिन समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है, उनके समाधान की दिशा में ठोस प्रयास करने की जरूरत है। निस्संदेह भारत के शत्रु हमेशा हर उस मौके को लपकने की फिराक में रहते हैं, जिससे यहां अशांति उत्पन्न की जा सके। कई बार तो तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है। जब तक उसका स्पष्टीकरण सामने आता है, नुकसान हो जाता है। 

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चीनी और पाकिस्तानी एजेंसियों की भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स पर नजर रहती है। लोग क्या पोस्ट करते हैं, कैसी टिप्पणियां करते हैं, क्या शेयर करते हैं ... इन सब बातों का वहां विश्लेषण किया जाता है। उसके बाद षड्यंत्र रचे जाते हैं, ताकि यहां शांति भंग की जा सके। भारत के बारे में विदेशों में सोशल मीडिया पर ये झूठ खूब फैलाए जाते हैं- कश्मीर में हमेशा कर्फ्यू लगा रहता है ... भारत में शौचालय नहीं हैं ... भारत में एक ही समुदाय को उच्च पदों व नौकरियों में मौका दिया जाता है, उसके अलावा सब उपेक्षित हैं ... भारत विज्ञान के क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ है और यहां गली-गली में हाथी घूमते हैं! 

आश्चर्य होता है कि लोग इन बातों पर विश्वास भी कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि आज कश्मीर में कर्फ्यू जैसी कोई स्थिति नहीं है ... घर-घर में शौचालय बन चुके हैं, कई घरों में तो एक से ज़्यादा हैं ... हर समुदाय के लोग उच्च पदों तक पहुंचे हैं ... कई देशों में जितनी आबादी नहीं है, उससे ज्यादा हमारे पास वाहन हैं ... भारतीय वैज्ञानिकों ने जो कोरोनारोधी वैक्सीन बनाई, उसने दुनिया में करोड़ों लोगों की जान बचाई है। मिशन चंद्रयान-3 में भारत की कामयाबी सब देख चुके हैं। भविष्य में ऐसे और मिशन लॉन्च किए जाएंगे, जो ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान रचेंगे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और भारतवासी अपनी सरकार ईवीएम का बटन दबाकर चुनते हैं। आज कितने देशों के पास ऐसी टेक्नोलॉजी है?

सोशल मीडिया से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस पर ग़लत जानकारी भी ख़ूब प्रसारित हो जाती है। सरहद पार बैठे शत्रु देशों के एजेंट इसके जरिए दंगे-फसाद भड़का सकते हैं और वे कानून की पकड़ से भी दूर रहते हैं। पिछले दिनों हरियाणा की घटना को केंद्र में रखकर एक व्यक्ति भड़काऊ वीडियो पोस्ट कर रहा था। उसे सुनकर यही लगता था कि वह स्थानीय निवासी है। पहनावा, बोली, लहजा ... सबकुछ वैसा ही, जैसा उस क्षेत्र के लोगों का होता है। बाद में पता चला कि वह पाकिस्तानी था और वहीं से वीडियो बनाकर यहां अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा था। उसके पूर्वज वर्ष 1947 में बंटवारे के समय हरियाणा से पाकिस्तान चले गए थे। इसलिए उसे पहनावे, बोली और लहजे को लेकर कोई समस्या नहीं हुई। 

इसी तरह, जब फरवरी 2019 में पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन को हिरासत में ले लिया था और दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था, तब वॉट्सऐप समूहों में एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के साथ हंसी-खुशी के माहौल में नृत्य करता नजर आ रहा था। उसकी शक्ल अभिनंदन से बहुत मिलती थी। वीडियो के जरिए यह भ्रम फैलाने की कोशिश की गई कि पाकिस्तान आतंकवादी नहीं, बल्कि बहुत दयालु और अतिथि-सत्कार करने वाला देश है, जिसके फौजी बड़े मिलनसार हैं, लिहाजा वहां कोई टकराव नहीं चाहता! ऐसे वीडियो का उद्देश्य भारत में भ्रम फैलाना, भारतवासियों में विभाजन पैदा करना, भारत सरकार को कड़ी कार्रवाई का फैसला लेने से रोकना था। 

चूंकि आम जनता को तकनीकी चीजों के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है। उसे सोशल मीडिया पर जो मिलता है, उस पर जल्द भरोसा कर लेती है। ऐसे में शत्रु देशों का काम काफी आसान हो जाता है। एजेंसियों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर कड़ी नज़र रखें। निस्संदेह जनता को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए, लेकिन किसी को भी इस बात की छूट न दी जाए कि वह जाने-अनजाने में शत्रु एजेंसियों का मोहरा बनकर यहां अशांति की वजह बने।

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