नकली सीबीआई अधिकारी बनकर करोड़ों रु. ठगे, ईडी ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया

एक विशेष अदालत ने उन्हें चार दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया

नकली सीबीआई अधिकारी बनकर करोड़ों रु. ठगे, ईडी ने 4 लोगों को गिरफ्तार किया

Photo: Enforcement Directorate

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को कहा कि उसने साइबर अपराध के एक मामले में तमिलनाडु में चार नई गिरफ्तारियां की हैं, जिसमें आरोपियों ने कथित तौर पर सीबीआई और दिल्ली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की थी।

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इसमें कहा गया है कि तमिलारासन कुप्पन (29), प्रकाश (26), अरविंदन (23) और अजित (28) को शुक्रवार को तमिलनाडु के पल्लीपट्टू से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया।

केंद्रीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एक विशेष अदालत ने उन्हें चार दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया।

बयान में कहा गया कि ये गिरफ्तारियां 2.6 करोड़ रुपए की साइबर धोखाधड़ी से संबंधित बेंगलूरु में दर्ज मामले में की गईं। एजेंसी ने इस मामले में पिछले महीने बेंगलूरु से चार लोगों को गिरफ्तार किया था और वे अभी भी न्यायिक हिरासत में हैं।

ईडी ने कहा, 'चारों आरोपी (13 सितंबर को गिरफ्तार) फर्जी कंपनियां बनाने और बैंक खाते खोलने में शामिल थे, जिनके जरिए साइबर ठगी से अर्जित अपराध की आय को सफेद किया गया।'

धन शोधन का यह मामला विभिन्न राज्यों में दर्ज पुलिस एफआईआर से उपजा है। इसके अलावा सितंबर में जयपुर में साइबर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर भी शामिल है।

राजस्थान में दर्ज एफआईआर के अनुसार, ईडी ने कहा कि पीड़िता को एक मोबाइल नंबर से कॉल आया, जिसमें एक व्यक्ति ने दावा किया कि वह बॉम्बे कस्टम्स ऑफिस से कॉल कर रहा है।
  
पीड़ित को बताया गया कि उनके नाम पर अवैध माल विदेश भेजा जा रहा है और फिर सुरक्षा के तौर पर फंड वैध करने के लिए भुगतान करने को कहा गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ित ने कोई धन अवैध रूप से अर्जित नहीं किया है।

एजेंसी ने बताया कि जालसाजों ने फोन करने वाले व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराए गए तीन अलग-अलग खातों में 2.16 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने को कहा था।

इसके बाद, खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले एक व्यक्ति ने पीड़ित से संपर्क किया। इसके अलावा एक अन्य जालसाज ने दावा किया कि वह दिल्ली पुलिस में डीसीपी है।

ईडी ने कहा, 'तथाकथित सरकारी अधिकारियों के आग्रह पर पीड़ित पर दबाव डाला गया और उसकी पूरी जीवनभर की बचत और निवेश की रकम, जोकि 2.16 करोड़ रुपए थी, हड़प ली गई।'

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