सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों को सरकार से मिल सकती है 5,000 करोड़ रुपए की पूंजी

सार्वजनिक साधारण बीमा कंपनियों को सरकार से मिल सकती है 5,000 करोड़ रुपए की पूंजी

इस साल इन कंपनियों को फिर से मुनाफे में लाने के लिए कुछ और कोष की जरूरत है


नई दिल्ली/भाषा। सरकार चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों में 3,000 करोड़ रुपए से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त पूंजी डाल सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इन कंपनियों को यह अतिरिक्त पूंजी साल के दौरान उनके प्रदर्शन और जरूरत के आधार पर दी जाएगी।

पूंजी निवेश मिलने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि., ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की वित्तीय सेहत में सुधार होगा।

पिछले वित्त वर्ष में भी सरकार ने इन कंपनियों में 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान इन कंपनियों को सरकार से 9,950 करोड़ रुपये की पूंजी मिली थी। इसमें से 3,605 करोड़ रुपए का निवेश यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस, 3,175 करोड़ रुपए नेशनल इंश्योरेंस और 3,170 करोड़ रुपए ओरियंटल इंश्योरेंस को मिले थे।

सूत्रों ने बताया कि कमजोर साधारण बीमा कंपनियों को पिछले वित्त वर्ष में पूंजी समर्थन दिया गया था। इस साल इन कंपनियों को फिर से मुनाफे में लाने के लिए कुछ और कोष की जरूरत है।

सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों को यह अतिरिक्त पूंजी उनके प्रदर्शन के आधार पर मिलेगी। इन कंपनियों को आगे और कोष दिए जाने की संभावना के मद्देनजर सरकार ने पहले ही उनकी अधिकृत पूंजी बढ़ा दी है।

तीनों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की परिचालन दक्षता में सुधार के लिए जल्द ही एक बाहरी सलाहकार नियुक्त किया जाएगा।

जनरल इंश्योरेर पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (जीआईपीएसए) के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों ने पुनर्गठन के लिए अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) भेजा है। इसका मकसद मुनाफे की स्थिति में लौटना और कर्मचारियों का विकास है।

आरएफपी में कहा गया है कि मुनाफे वाली वृद्धि और प्रदर्शन और क्षमता के प्रबंधन के जरिये कर्मचारियों के विकास के लिए संगठन के पुनर्गठन का प्रस्ताव है। बोली जमा करने की अंतिम तिथि दो जून, 2022 है।

सार्वजनिक क्षेत्र की चार साधारण बीमा कंपनियों में से सिर्फ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ही शेयर बाजारों में सूचीबद्ध है। शेष कंपनियों पर पूर्ण रूप से सरकार का स्वामित्व है।

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