मानवता के समक्ष खड़े प्रश्नों का उत्तर भारत के अनुभवों, सांस्कृतिक सामर्थ्य से ही निकल सकता है: मोदी

मानवता के समक्ष खड़े प्रश्नों का उत्तर भारत के अनुभवों, सांस्कृतिक सामर्थ्य से ही निकल सकता है: मोदी

दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां अध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि आज विश्व के सामने अनेक साझे संकट और चुनौतियां हैं और मानवता के समक्ष खड़े प्रश्नों का समाधान भारत के अनुभवों और उसके सांस्कृतिक सामर्थ्य से ही निकल सकता है।

प्रधानमंत्री ने यहां अपने सरकारी आवास पर शिवगिरि तीर्थयात्रा की 90वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण जयंती के वर्षभर चलने वाले संयुक्त समारोह के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में कहा कि 25 साल बाद देश जब आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा तो भारत की उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिएं और इसके लिए उसकी दूरदृष्टि भी वैश्विक होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि तीर्थदानम् की 90 सालों की यात्रा और ब्रह्म विद्यालयम् की गोल्डेन जुबली, ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। यह भारत के उस विचार की भी अमर यात्रा है, जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिए आगे बढ़ता रहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब केदारनाथ में बहुत बड़ा हादसा हुआ। यात्री जीवन व मृत्यु के बीच जूझ रहे थे। उत्तराखंड में और केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार थी, मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। तब शिवगिरी मठ से मुझे फोन कॉल आया कि हमारे संत वहां फंस गए हैं, उनका पता नहीं लग रहा है और यह काम आपको करना है।

बड़ी-बड़ी सरकारें होने के बाद भी शिवगिरि मठ ने यह काम मुझे दिया। मुझे उस सेवा कार्य का मौका मिला और सभी संतों को मैं सही सलामत वापस ला पाया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरि, भारत की ऊर्जा का हर केंद्र, हम सभी भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है। यह स्थान केवल तीर्थभर नहीं हैं, यह आस्था के केंद्रभर नहीं हैं, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां अध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली। लेकिन, भारत के ऋषियों, संतों, गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन किया, संवर्धन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नारायण गुरुजी ने धर्म को शोधित किया, परिमार्जित किया, समयानुकूल परिवर्तन किया। उन्होंने रूढ़ियों और बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाया और भारत को उसके यथार्थ से परिचित कराया। नारायण गुरुजी ने जातिवाद के नाम पर चल रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही हम किसी को समझना शुरू कर देते हैं, सामने वाला व्यक्ति भी हमें समझना शुरू कर देता है। नारायण गुरु ने भी इसी मर्यादा का हमेशा पालन किया। वे दूसरों की भावनाओं को समझते थे, फिर अपनी बात समझाते थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सबकी एक ही जाति है- भारतीयता। हम सभी का एक ही धर्म है- सेवा धर्म, अपने कर्तव्यों का पालन। हम सभी का एक ही ईश्वर है- भारत मां के 130 करोड़ से अधिक संतान।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। यह गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथ ही एक आज़ाद देश के रूप में हम होंगे, कैसे होंगे, इसका विचार भी था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 25 साल बाद देश अपनी आज़ादी के 100 साल मनाएगा और 10 साल बाद हम तीर्थदानम् के 100 सालों की यात्रा का भी उत्सव मनाएंगे। इन 100 सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिएं और इसके लिए हमारा विज़न भी वैश्विक होना चाहिए।

Google News
Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

कांग्रेस विरासत टैक्स लगाकर आपकी संपत्ति अपने खास वोटबैंक में बांट देगी: मोदी कांग्रेस विरासत टैक्स लगाकर आपकी संपत्ति अपने खास वोटबैंक में बांट देगी: मोदी
प्रधानमंत्री ने जनसभा में कहा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति का सर्वे कराकर आप पर विरासत टैक्स लगाएगी!
सूरत: कांग्रेस उम्मीदवार का फॉर्म खारिज होने से निर्विरोध जीती थी भाजपा, पार्टी ने उठाया बड़ा कदम!
दिग्विजय पर शाह का हमला- राजगढ़ वालों को राजनीति से इनकी परमानेंट विदाई करनी है
देश के लोगों से छीनना, उन्हें तरसाकर रखना इंडि गठबंधन वालों का मकसद है: मोदी
मोदी ने इस देश से आतंकवाद और नक्सलवाद को समाप्त किया: शाह
तृणकां घुसपैठियों को बसाती है, कांग्रेस आपकी संपत्ति ऐसे वोटबैंक को बांटने की बात कर रही है: मोदी
उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम से डाले गए वोटों का वीवीपैट से क्रॉस-सत्यापन की मांग वाली याचिका खारिज की