कोरे उपदेश
अगर मरियम इतनी सद्भावना रखती हैं तो भारतीय हवाई क्षेत्र में आने वाले अपने ड्रोन्स की उड़ान रोक दें
पाकिस्तानी पंजाब शरीफ खानदान का गढ़ माना जाता है
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज का करतारपुर स्थित गुरुद्वारे में लोगों (जिनमें ज्यादातर भारतीय सिक्ख थे) को संबोधित करते हुए यह कहना कि 'हमें अपने पड़ोसियों से नहीं लड़ना चाहिए ... उनके लिए अपना दिल खोलने की जरूरत है', कोरे उपदेश से ज्यादा कुछ नहीं है। आज मरियम नवाज (पाकिस्तानी) पंजाब की मुख्यमंत्री हैं। उनके खानदान का पाकिस्तान में शासन है। उन्हें भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने से किसने रोका है? मरियम भी पाकिस्तानी नेताओं की तरह लंबे-चौड़े उपदेश दे रही हैं, लेकिन उनकी ओर से इनका बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है। अगर मरियम इतनी सद्भावना रखती हैं तो भारतीय हवाई क्षेत्र में आने वाले अपने ड्रोन्स की उड़ान रोक दें, जिनमें कभी मादक पदार्थ तो कभी हथियार भेजने की कोशिशें की जाती हैं। क्या वे मुख्यमंत्री के तौर पर इतना भी नहीं कर सकतीं? भारत में किसी भी दल की सरकार रही हो, सबने पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंधों की कोशिश की थी। इन सबके बदले भारत को क्या मिला? वर्ष 1947 का हमला, 1965 का युद्ध, 1971 का महासंग्राम, कारगिल में धोखा ... और अनगिनत आतंकवादी हमले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के शपथ-ग्रहण कार्यक्रम में पाक के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निमंत्रण भेजा था। वे आए भी, जिससे एक बार फिर यह उम्मीद जगी थी कि दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होंगे। हालांकि नतीजा 'ढाक के तीन पात' जैसा ही निकला। मोदी ने दिसंबर 2015 में नवाज के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी, जिसके कुछ ही दिन बाद पठानकोट में आतंकवादी हमला हुआ था। उसके बाद उरी में आतंकवादी हमला हुआ था।
ये घटनाएं तब हुईं, जब शरीफ खानदान पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज था। वह तब भी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था, आज भी कर रहा है। नवाज शरीफ को तत्कालीन पाक सेना प्रमुख मुशर्रफ ने बड़े-बड़े सब्ज-बाग दिखाए थे कि 'जनाब, हम आपको कश्मीर लेकर देंगे ... फिर तो आप पाकिस्तान में जिन्ना के बाद दूसरे बड़े नेता बन जाएंगे!' जब मुशर्रफ का दांव उल्टा पड़ गया और पाक फौज पर करारी चोट होने लगी तो नवाज की आंखें खुलीं। पाकिस्तान में राजनीति और रक्षा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ मानते हैं कि नवाज शरीफ को कारगिल युद्ध से पहले रची गई साजिश के बारे में मालूम था। मुशर्रफ ने वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में उन्हें जानकारी उपलब्ध कराई थी। लिहाजा किसी को भी इस बात को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान के ये 'शरीफ' सच में 'शरीफ' हो गए हैं! पाकिस्तानी पंजाब शरीफ खानदान का गढ़ माना जाता है, लेकिन दु:खद है कि ये वहां रहने वाले हिंदू, सिक्ख और ईसाई परिवारों की सुरक्षा में विफल रहे हैं। उन अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में साजिशन खत्म किया जा रहा है। उनकी संपत्तियों पर नाजायज कब्जे हो रहे हैं। उनकी बेटियों का अपहरण कर जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है। कट्टरपंथी तत्त्व उन्हें धमकियां देते हैं, लेकिन शरीफ खानदान खामोश रहता है। हां, वह भारत को समय-समय पर 'उपदेश' जरूर देता रहता है। मरियम भले ही कहें कि ‘यह मेरा पंजाब है और हम होली, ईस्टर और बैसाखी जैसे सभी अल्पसंख्यक त्योहार एक साथ मना रहे हैं', लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है। पाकिस्तान में ऐसी कितनी ही घटनाएं हो चुकी हैं, जिनसे पता चलता है कि वहां अल्पसंख्यकों को शांति से त्योहार नहीं मनाने दिए जाते। पिछले साल लाहौर स्थित पंजाब विवि के लॉ कॉलेज में होली खेल रहे छात्रों को बुरी तरह पीटा गया था। बेशक मरियम साहिबा ने भारत-पाक संबंधों पर बातें बहुत अच्छी की हैं, लेकिन अब उनकी सरकार की जिम्मेदारी है कि धरातल पर वैसा करके भी दिखाए। कोरे उपदेशों से कुछ नहीं होता।