माल ढुलाई, सुरक्षा, डिजिटल राह… ढाई साल में इस तरह आगे बढ़ा दपरे

माल ढुलाई, सुरक्षा, डिजिटल राह… ढाई साल में इस तरह आगे बढ़ा दपरे

माल ढुलाई, सुरक्षा, डिजिटल राह… ढाई साल में इस तरह आगे बढ़ा दपरे

दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक अजय कुमार सिंह संवाददाताओं को संबोधित करते हुए। फोटो स्रोत: दपरे।

हुब्बली/दक्षिण भारत। दक्षिण पश्चिम रेलवे (दपरे) ने बताया कि वह राष्ट्रनिर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है। उसने पिछले ढाई साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि गैर-परिणामी दुर्घटनाओं की संख्या जो साल 2018 में 13 थीं, वह 2020-21 में घटकर 5 हो गईं। इसी प्रकार साल 2018 से 2021 तक ज़ोन में ट्रेनों की समय पाबंदी की सीमा 88 प्रतिशत से बढ़कर 96 प्रतिशत हो गई है। सभी जोनल रेलवे के बीच दपरे 16वें से चौथे स्थान पर आ गया।

दपरे ने बताया कि साल 2020-21 में माल ढुलाई लोड प्रत्येक माह 3 मिलियन टन को पार करते हुए पिछले वर्ष के लोडिंग आंकड़ों को पार कर गया है। दपरे में कार्यान्वित व्यावसायिक विकास इकाइयां, नए माल यातायात को आकर्षित करने में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। पिछले साल 23 रेक की तुलना में ऑटोमोबाइल के 189 रेक लोड किए गए थे। 26 मार्च को लोड किए गए पिछले 4 वर्षों में सबसे अधिक वैगनों की संख्या है।

दपरे ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल खाद्यान्न में 511 प्रतिशत और उर्वरक में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सुरक्षा बढ़ाने के लिए लेवल क्रॉसिंग को खत्म करके पिछले दो वर्षों में 112 सबवे और 12 रोड ओवर ब्रिज बनाए गए। ऑपरेटिंग अनुपात (आंकड़ा जो कमाई के लिए व्यय का अनुपात दिखाता है) अप्रैल 2020 में 400 प्रतिशत से बेहतर हुआ और फरवरी 2021 में 132 प्रतिशत हो गया।

दपरे ने बताया कि सभी स्टेशनों में यात्रियों के लिए वाई-फाई कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए पूरे देश में पहला जोन बन गया है। 503 रूट किलोमीटर में सेक्शनल स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा और स्पीड 332 किलोमीटर में लूप लाइनों से बढ़कर 30 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई हैं।

दपरे ने बताया कि हुब्बली यार्ड / स्टेशन की री-मॉडलिंग अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के साथ 100 करोड़ रुपए में पूरी हुई है। इसके साथ प्लेटफार्मों की संख्या 5 से बढ़कर 8 हो गई है। दपरे के पास दुनिया का सबसे लंबा 1,505 मीटर का प्लेटफॉर्म है।

बेंगलूरु, यशवंतपुर, मैसूरु और होसापेट में यार्ड रीमॉडलिंग कार्य पूरा हो गया है। हुब्बली और मैसूरु वर्कशॉप अब एलएचबी कोच संभाल रही हैं। इसके पास 7 प्लेटफार्मों के साथ 314 करोड़ रुपए की लागत से बना सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल है, जो पूरे देश में पहला केंद्रीकृत एसी टर्मिनल है।

दपरे ने बताया कि उसने लॉकडाउन के बाद, पहले की एक्सप्रेस ट्रेनों में से 70 प्रतिशत को फिर से शुरू किया है। यह वह जोन है जिसने पूरे देश में सबसे अधिक ट्रेनों को फिर से शुरू किया है। हुब्बली में उत्तर कर्नाटक में पहला रेलवे संग्रहालय खोला गया। मैसूरु रेलवे संग्रहालय का जीर्णोद्धार और पुनः विकास हुआ। अरसालु स्टेशन पर मालगुडी संग्रहालय विकसित किया गया।

दपरे ने बताया कि सभी इकाइयों में ई-कार्यालय पद्धति लागू की और कई जगह डिजिटलीकरण की पहल की गई। वहीं, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए 150 से ज्यादा बगीचे बनाए गए। 200 से ज्यादा श्रमदान किए गए। कर्मचारी कल्याण और स्टेशन सुधार को लेकर कई पहल की गईं। महाप्रबंधक व्यक्तिगत रूप से 11,000 से ज्यादा कर्मचारियों से मिले हैं। अनेक जन शिकायतों का समाधान किया गया है।

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