राजस्थान में इतिहास दोहराने पर भाजपा की निगाहें

2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था

राजस्थान में इतिहास दोहराने पर भाजपा की निगाहें

Photo: BJP FB page

जयपुर/दक्षिण भारत| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी आम चुनाव में राजस्थान के अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में जुटी है और पार्टी को उम्मीद है कि वह राज्य की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करेगी| वहीं कांग्रेस, भाजपा के इस सपने को पूरा होने से रोकने की कवायद में जुट गयी है| भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनावों में राज्य की 24 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था|

राज्य की बची एक लोकसभा सीट पर भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने जीत दर्ज की थी| इस बार भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी है और उसे सारे समीकरण फिर अपने पक्ष में नजर आ रहे हैं| लोकसभा चुनाव २०१९ में कांग्रेस को पूर्वी राजस्थान से मुंह की खानी पड़ी थी जबकि 2018 विधानसभा चुनावों में उसने क्षेत्र की अधिकांश विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी| विधानसभा चुनाव 2018 में गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस को इस उम्मीद से वोट दिया था कि सचिन पायलट राज्य के मुख्यमंत्री होंगे जबकि ऐसा नहीं हुआ|

यही कारण है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में इलाके की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी हालांकि, राज्य की अन्य सीटों की तुलना में पूर्वी राजस्थान की तीन सीटों पर जीत का अंतर अपेक्षाकृत कम था| गत लोकसभा चुनाव में भाजपा की जसकौर मीणा ने दौसा से ७८,४४४ वोटों के अंतर से जबकि मनोज राजोरिया ने करौली-धौलपुर सीट पर ९७,६८२ वोटों के अंतर से जीत हासिल की| टोंक-सवाई माधोपुर में सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने १,११,२९१ के अंतर से चुनाव जीता था|

पायलट ने २०१८ में अपना पहला विधानसभा चुनाव टोंक विधानसभा सीट से जीता था जो टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है| मारवाड़ क्षेत्र में कांग्रेस को संसदीय चुनावों में जोधपुर से अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत अपना पहला चुनाव भाजपा के गजेंद्र शेखावत से २,७४,४४० वोटों से हार गए थे|

जोधपुर गहलोत का गृहनगर है और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है| वैभव की हार गहलोत और कांग्रेस दोनों के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी थी| केंद्रीय मंत्री शेखावत इस बार फिर से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं| वह 2014 से जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं| कांग्रेस ने इस सीट पर इस बार अपना प्रत्याशी बदलते हुए करण सिंह उचियारड़ा को मैदान में उतारा है| उचियारड़ा कांग्रेस की प्रदेश इकाई के महासचिव हैं| लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने नागौर की सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के लिए छोड़ दी थी, जहां हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को १,८१,२६० वोटों के अंतर से हराया था|

मिर्धा, अब भाजपा में हैं और उन्हें नागौर से पार्टी का टिकट दिया गया है| 2020 में किसानों आंदोलन को लेकर आरएलपी ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर दिया था| राज्य के दक्षिणी हिस्से वाले मेवाड़ क्षेत्र में 2018 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने दो विधानसभा सीटें पर जीत हासिल की थी| बीटीपी ने बांसवाड़ा और डूंगरपुर इलाके में कांग्रेस और भाजपा दोनों को काफी नुकसान पहुंचाया था| हालांकि, इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही और उसने बांसवाड़ा (३,०५,४६४ वोट), चित्तौड़गढ़ (५,७६,२४७ वोट), उदयपुर (४,३७,९१४ वोट) और राजसमंद सीट (५,५१,९१६ वोट) पर बहुत बड़े अंतर से जीत दर्ज की|

मेवाड़ क्षेत्र में भाजपा का विधानसभा चुनाव 2018 में प्रदर्शन अच्छा रहा था, जिसका फायदा उसे बाद के लोकसभा चुनाव में भी मिला| वहीं पार्टी ने हाड़ौती क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बरकरार रखा, जहां उसने कोटा-बूंदी सीट (ओम बिरला) और झालावाड़-बारां सीट (दुष्यंत सिंह) पर जीत हासिल हुई थी| पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने ४,५३,९२८ वोटों के अंतर से जीत दर्ज की| उत्तरी राजस्थान (बीकानेर, गंगानगर) और शेखावाटी क्षेत्र (चूरू, सीकर, झुंझुनू) में, पार्टी ने हर सीट पर लगभग तीन लाख के अंतर से जीत हासिल की थी|

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